हृदय संबंधी रोगों का मुख्य कारण रक्त का ठीक प्रवाह न होना और अधिक वजन है. ऐसे में शशांकासन व उत्तानपादासन उपयोगी हैं. ये आसन अलावा चर्बी घटाकर दिल पर पडऩे वाले प्रेशर को कम करते हैं.
शशांकासन
वज्रासन में बैठकर दोनों हथेलियों को जांघों पर रखें. सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाने के बाद सांस बाहर छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाकर माथा औरहथेलियों को जमीन पर टिकाएं. सांस अंदर लेते हुए शरीर को उठाएं व प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं.
फायदा : रक्तसंचार सुचारू होगा जिससे दिल की धड़कनें सामान्य रहती हैं. तनाव कम होने से सभी अंग स्वस्थ रहेंगे.
कब करें : एक समय पर इसे 3 बार दोहराएं. प्रातः काल के समय ताजा हवा में करें.
कौन न करें : हाई बीपी, ग्लूकोमा व चक्कर आने की स्थिति में.
उत्तानपादासन
जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं. दोनों हथेलियों को जांघों के पास रखें. इस दौरान दोनों पैरों के घुटनों, एडिय़ों व अंगूठों को आपस में सटाकर रखें. इसके बाद सांस अंदर लेते हुए धीरे-धीरे पैरों को ऊपर की ओर उठाएं. क्षमतानुसार पैरों को हवा में रोककर 45 डिग्री के कोण में रखें. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को जमीन पर टिका लें.
फायदा : हाई बीपी की समस्या, एसिडिटी और कब्ज में सुधार कर अंदरुनी अंगों को मजबूत करता है.
कब करें : एक समय पर इसे 3 बार दोहराएं. प्रातः काल ताजा हवा में करें.
कौन न करें : कमरदर्द, मांसपेशियों में अकडऩ की स्थिति में. गर्भवती महिलाएं और माहवारी के दौरान भी इसे न करें.