लखनऊ। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में लोक भवन में पराली प्रबंधन एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण के सम्बन्ध में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कृषि, पशुधन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों तथा विषय विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, एफपीओ के पदाधिकारियों, प्रगतिशील किसानों आदि द्वारा वीडियों कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से प्रतिभाग किया गया।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि पराली जलाना पर्यावरण और किसान दोनों के लिए हानिकारक है। इससे एक तरफ प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है और दूसरी तरफ मिट्टी की उत्पादकता घट जाती है। फसल अवशेष के समुचित प्रबंधन के लिए विगत वर्षों से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं, जिनके कारण फसल अवशेष जलाने की घटनायें नियंत्रित हो रही हैं। इन घटनाओं को न्यूनतम स्तर पर पहुंचाने के लिए व्यापक रणनीति अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान व सरकार के द्वारा दी जा रही सब्सिडी के प्रति जागरूक करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग व समन्वित प्रयास से इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है। पराली को खेत में ही मिलाकर जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है, इससे जमीन उपजाऊ होगी।
उन्होंने कहा कि पराली से बायोगैस व बिजली उत्पादन आदि पर्यावरण अनुकूल उपाय अपनाये जा सकते हैं, जिससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि किसानों को भी आर्थिक रूप से लाभ होगा। उन्होंने कृषि विभाग को अनुदान पर बेलर और मल्चर मशीन वितरण का लक्ष्य जिला कृषि अधिकारियों को देने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकी का इस्तेमाल किया जाये।
बैठक में पशुपालन विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश में खाद के बदले पराली अभियान दिनांक 28 अक्टूबर, 2024 से 30 नवम्बर, 2024 तक संचालित किया गया। इस अभियान के दौरान किसानों को गो-आश्रय स्थल से 155380.25 कुंतल गोवंश खाद का वितरण किया गया और किसानों से 290208.16 कुंतल पराली प्राप्त की गई।
यूपीनेडा द्वारा अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेश में 24 सीबीजी प्लांट्स क्रियाशील है और 106 सीबीजी प्लांट्स निर्माणाधीन है। इसी प्रकार पराली प्रबंधन और वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिये वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, एफपीओ व बायोगैस प्लांट्स के पदाधिकारियों तथा किसानों द्वारा अपने अनुभव व सुझाव बैठक में साझा किये गये। बैठक में प्रमुख सचिव कृषि रवीन्द्र, प्रमुख सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन अनिल कुमार, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिवसंजीव कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।