अगर आपकी पुरीनी जींस कसने लगी हैं तो वक्त आ गया है शरीर के निचले हिस्से की वसा से छुटकारा पाने का. इसके लिए एक बेहतरीन व्यायाम है, स्क्वाट. वजन घटाने के अतिरिक्त इस व्यायाम के व क्या-क्या हैं फायदे.
आप बहुत व्यस्त हैं व जिम जाने का समय भी नहीं है. ऐसे में अलावा वसा से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा उपचार आपके लिए स्क्वाट्स साबित होने कि सम्भावना है.
कितने तरह के होते हैं स्क्वाट्स?
यूं तो स्क्वाट्स कई तरह के होते हैं. लेकिन मुख्यत: सात प्रकार के चलन में हैं. हर बार व्यायाम करते वक्त एक तरह का स्क्वाट नहीं करना चाहिए. इसे बदलते रहना बेहतर रहता है.आरंभ सरलता से होने वाले स्क्वाट से करें व धीरे-धीरे स्तर बढ़ाते जाएं. सरल स्क्वाट्स में आप आरंभ बॉडी वेट स्क्वाट्स से कर सकती हैं. इसमें किसी तरह के वेट या अन्य उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती. सूमो व पल्स भी साधारण स्क्वाट्स हैं. पॉलिमेट्रिक स्क्वाट में दिल की धड़कनें बढ़ सकती हैं. सिंगल लेग स्क्वाट में एक पैर से व्यायाम किया जाता है. गोबलेट स्क्वाट्स करने में आपको डंबल की आवश्यकता पड़ेगी. बारबेल बैक स्क्वाट को जिम में करना बेहतर रहता है.
सही उपाय है जरूरी
व्यायाम करने के लिए आपको उसको करने का ठीक उपाय पता होना चाहिए, तभी व्यायाम ठीक नतीजे भी दे पाएगा. स्क्वाट करने के ठीक उपायों के बारे में फिटनेस एक्सपर्ट सौरभ मेहता बताते हैं कि इस व्यायाम को खाली पेट करना चाहिए. अगर कुछ हल्का खा लिया है तो एक घंटा व अधिक खाया है तो दो घंटे बाद ही व्यायाम करें. व्यायाम करने के बाद एकदम से बैठ न जाएं. शरीर को धीरे-धीरे घुटनों से नीचे तक लाएं व सामान्य तरह से ऊपर जाएं. ऊपर आते वक्त सांस बाहर छोड़ें व नीचे जाते वक्त सांस अंदर लें. ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि सारे शरीर का वजन एड़ी पर आए. व्यायाम करते वक्त पीठ सीधी रहे व कंधे झुकने नहीं चाहिए. पंजों की दूरी घुटनों की दूरी के बराबर हो. स्क्वाट को किसी भी आयु की महिला कर सकती हैं.
यूं करें व्यायाम
पैरों को बराबर दूरी पर रखकर खड़ी हो जाएं. पंजे 30 डिग्री बाहर की ओर हों. पेट की मांसपेशियों में कसाव लाएं व कुर्सी का आकार बनाते हुए नीचे जाएं. जांघें जब फर्श से पैरलल हों तो रुकें व कुछ सेकेंड इस मुद्रा में रहें. अब सामान्य ढंग से ऊपर आ जाएं.
12 स्क्वाट के तीन सेट रोज करें. हर सेट के बीच में 60 सेकेंड का विश्राम लें. आप सहारे के लिए डंडे या डंबल का प्रयोग कर सकती हैं.
फायदों की फेहरिस्त
जांघों से पेट के निचले हिस्से में दबाव पड़ता है, जिससे पाचन दुरुस्त होता है.
इस व्यायाम में पेट व पीठ की मांसपेशियां भी शामिल होती हैं, जिससे संतुलन बेहतर बनता है व पेट की मांसपेशियों को कसाव मिलता है.
पीठ व कमर की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
ठीक मुद्रा में बैठना आ जाता है.
कूल्हा, जांघ व पेट के निचले हिस्से में इकट्ठा वसा कम होती है.
शरीर का लचीलापन भी बढ़ता है.
इस व्यायाम में होने वाली स्ट्रेचिंग रक्तचाप बेहतर करती है, जिससे सेल्युलाइट से निजात मिलती है.