देश में की घटनाओं पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ मुद्दे की सुनवाई करेगी। दरअसल, 12 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने चिंता जताते हुए मुद्देपर संज्ञान लिया था व वरिष्ठ एडवोकेट वी गिरि को न्यायमित्र नियुक्त किया था। न्यायालय ने गिरि से महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश पारित करने के बारे में सुझाव मांगे हैं। आपको बता दें कि एक जनवरी से 30 जून, 2019 तक देश में बच्चों से बलात्कार की कुल 24,212 घटनाएं हुईं, जिनमें एफआईआर दर्ज है। न्यायालय ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए ढांचागत संसाधन जुटाने व अन्य तरीका करने के लिए दिशा-निर्देश तय करने का मन बनाया है। पिछली सुनवाई में उच्चतम न्यायालय में बोला था कि विभिन्न अखबारों व औनलाइन प्रकाशन में बच्चों से बलात्कार की आई घटनाओं व आंकड़ों ने उन्हें परेशान व चिंतित कर दिया है। इसके बाद न्यायालय ने सभी राज्यों व उच्च न्यायालयों से बच्चों से बलात्कार के मामलों के आंकड़े मंगाए हैं।
कोर्ट ने एकत्रित आंकड़ों की जानकारी दी जो कि चौंकाने वाली है। न्यायालय ने वरिष्ठ एडवोकेट वी गिरि को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए बोला था कि वह ऐसे मामलों से निपटने के लिए राज्यों को ढांचागत संसाधन जुटाने, कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग करने जैसे दिशा-निर्देश जारी करने पर अपने सुझाव दें। न्यायालय में उपस्थित सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी मुद्दे पर चिंता जताते हुए बोला था कि सरकार भी इन मामलों के प्रति संवेदनशील है व वे न्यायालय को इस मुद्दे की सुनवाई में पूरा योगदान करेंगे।
सुप्रीम न्यायालय रजिस्ट्री ने सभी राज्यों से आए आंकड़ों को एकत्रित किया है जिससे पता चलता है कि देश भर में एक जनवरी से तीस जून के बीच बच्चों से बलात्कार की कुल 24,212 एफआइआर दर्ज हुईं। इसमें से 11,981 में अभी जाँच चल रही है, जबकि 12,231 मामलों में पुलिस आरोप लेटर दाखिल कर चुकी है लेकिन इनमें से ट्रायल सिर्फ 6449 केस का ही चल रहा है। 4871 मामलों में अभी ट्रायल प्रारम्भ नहीं हुआ है। ट्रायल न्यायालय ने अभी तक 911 मामलों में निर्णय सुनाया है जो कि कुल संख्या का मात्र चार फीसद है। आंकड़ों से पता चलता है कि यूपी में सबसे ज्यादा 3457 घटनाएं हुईं जिसमें से 1779 मे अभी जाँच चल रही है, मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है।