आप सभी को बता दें कि कल यानी 10 जून 2019 को देवी धूमावती जयंती है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसकी कथा। जी हाँ, कैसे हुआ था माँ देवी धूमावतीका जन्म।देवी धूमावती की जन्मकथा- पुराणों के अनुसार एक बार मां पार्वती को बहुत तेज भूख लगी होती है किंतु कैलाश पर उस समय कुछ न रहने के कारण वे अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं व उनसे भोजन की मांग करती हैं किंतु उस समय शंकरजी अपनी समाधि में लीन होते हैं। मां पार्वती के बार-बार निवेदन के बाद भी शंकरजी ध्यान से नहीं उठते व वे ध्यानमुद्रा में ही मग्न रहते हैं। मां पार्वती की भूख तेज हो जाती है व वे भूख से व्याकुल हो उठती हैं, परंतु जब मां पार्वती को खाने की कोई वस्तु नहीं मिलती है, तब वे श्वास खींचकर शिवजी को ही निगल जाती हैं।
भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण मां के शरीर से धुआं निकलने लगता है, उनका स्वरूप श्रृंगारविहीन तथा विकृत हो जाता है तथा मां पार्वती की भूख शांत होती है। तत्पश्चात भगवान शिव माया के द्वारा मां पार्वती के शरीर से बाहर आते हैं व पार्वती के धूम से व्याप्त स्वरूप को देखकर कहते हैं कि अब से आप इस वेश में भी पूजी जाएंगी। इसी कारण मां पार्वती का नाम ‘देवी धूमावती’ पड़ा। एक अन्य कथा के अनुसार जब सती ने पिता के यज्ञ में अपनी स्वेच्छा से खुद को जलाकर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं। मां धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप हैं।