लखनऊ। पत्रकार व लेखक ज्ञान बिहारी मिश्र की पहली पुस्तक ‘रक्तशास्त्र’ का विमोचन शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन विभाग के सभागार में किया गया।
इस असर पर कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि जब मैंने किताब के बारे में पढ़ा तो अंदाजा लगाया कि किताब की कहानी क्राइम बीट से संबंधित है, लेकिन इसकी भाषा सरल, सरस व पठनीय है। ज्ञान भविष्य में बड़े साहित्यकार साबित होंगे। लेखक ज्ञान बिहारी मिश्र ने बताया कि यह कहानी सत्य घटना से प्रेरित है। लेखन के बारे में कभी सोचा नहीं था। इस कहानी ने कब किताब का रूप ले लिया, पता ही नहीं लगा। दफ्तर से लौटने के बाद देर रात लेखन करता था, जिसे पूरा करने में पांच साल लग गए। पाठकों को रोमांच और रहस्य से भरी कहानी पढ़ने को मिलेगी।
पूर्व डीजीपी महेश चंद्र द्विवेदी ने कहाकि पहली पुस्तक, पहली संतान जैसी होती है। ज्ञान बिहारी मिश्र ने कहानी का ताना-बाना सुंदर ढंग से बुना है। बेशक किताब डायरी व पत्रकारिता की भाषा में लिखी गई है। पर, कथानक बेहद सधा हुआ है। वहीं लेखक यतीन्द्र मिश्र ने कहा कि उपन्यास लेखन बीहड़ काम है। वैसे तो साहित्यकार बनने का कोई तय फॉर्मूला नहीं है। पर, मन की अभिव्यक्ति की जगह विचारों को जगह दिया जाना चाहिए। उन्होंने बातचीत के दौरान महान
रचनाकार अज्ञेय से जुड़ा किस्सा सुनाया। बताया कि एक बार अज्ञेय से एक ने पूछा कि आप करते क्या हैं तो अज्ञेय ने जवाब दिया कि रचनाएं लिखता हूं। व्यक्ति ने कहा, वह तो ठीक है, पर आप करते क्या हैं। इस पर अज्ञेय ने कहा कि जूता बहुत अच्छा सिलता हूं। उन्होंने फिर वही सवाल पूछा तो अज्ञेय ने कहाकि अखबार पढऩे के बाद अच्छे से तह कर देता हूं। उन्होंने फिर वही सवाल पूछा? मतलब कहने का यह अर्थ है कि करते क्या हैं, से कभी राहत नहीं मिलती, इसलिए लगातार प्रयासरत रहना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ल ने कहाकि यह किताब एक उदाहरण के तौर पर है। ज्ञान का काम शानदार है। बेहतरीन मर्डर मिस्ट्री है। रचना के साथ-साथ रचना प्रक्रिया के मर्म को
समझा जाना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार सद्गुरु शरण ने कहा कि किताब लिखने वाले महामानव होते हैं। ज्ञान ने यह साबित किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह, कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन, कृष्ण बिहारी मिश्र सहित तमाम साहित्यसेवी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।