लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि इन दिनों उत्तर प्रदेश में अफवाहों के चलते कानूनव्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इन अफवाहों के पीछे कोई तथ्य या औचित्य नहीं होता है। इनका एकमात्र मकसद परस्पर अविश्वास को बढ़ाना तथा हिंसा को उकसाना होता है। इसमें सांप्रदायिकता का रंग भी मिला दिया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को महारत हासिल है।
अभी पिछले दिनों भीड़ ने अपने पोते के साथ जा रही दादी की पीट-पीट कर हत्या कर दी। आजमगढ़, बुलंदशहर, गाजियाबाद, सहारनपुर, दनकौर रामपुर, मेरठ, मोदीनगर, अम्बेडकर नगर में भी ऐसी घटनाएं घटी हैं। बच्चा चोर की सिर्फ अफवाहों के चलते भीड़ में फंसकर कई लोग बुरीतरह पिट गए हैं। कुछ जगहों पर तो असामाजिक तत्वों ने अफवाहें फैलाकर लोगों की अपमानित-प्रताड़ित करने का धंधा शुरू कर दिया है। माॅब लिंचिंग की घटनाएं भी इसी अफवाह का दुःखद नतीजा है।
माइक्रोसाफ्ट अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसने 22 देशों में सर्वे किया और फर्जी खब़रों के मामले में भारत को शीर्ष स्थान दिया है। अफवाहों के कारण भारत की छवि विश्व में खराब हुई है। इससे विश्वसनीयता पर भी आंच आती है। बात सिर्फ यही नहीं है कि भाजपा-संघ मिलकर अफवाहों को हवा दे रहे हैं अपितु शीर्ष प्रशासकीय स्तर पर भी भ्रम फैलाया जा रहा है।
राज्य में ढाई साल की भाजपा सरकार युवाओं को रोजगार देने के बजाय उनकी नौकरियां छीनकर उन्हें लाठियों से पीट रही है। सरकार के मुखिया पहले तय कर लें कि उन्हें किस आंकड़े पर कायम रहना है। आधी सरकार खत्म होते ही 28 लाख रोजगार का तथाकथित आंकड़ा अब 14 लाख पर आकर आधा कैसे हो गया है? भाजपा-संघ द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम का अंत आखिर कब होगा।?