गणेश चौथ का दिन गणेश भगवान को समर्पित होता है और इस दिन गणेश जी की पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कष्ट भी दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और चंद्रमा का दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ते हैं। वैसे तो गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है, लेकिन साल में माघ, श्रावण, मार्गशीर्ष और भाद्रपद के महीने में आने वाली गणेश चतुर्थी व्रत का खास महत्व है। इस दिन गणपति के एकदंत रूप की पूजा की जाती है। भादो महीने की इस चतुर्थी को व्रत रखने से सब तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है और आपकी इच्छा पूरी होती हैं। संतान सुख पाने और लंबी आयु के लिए माताओं को यह व्रत जरूर रखना चाहिए।
भगवान गणेश की महिमा
भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता और पहले पूजे जाने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। किसी भी शुभ काम को करने से सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
गणेश चौथ का व्रत करने की विधि
भगवान गणेश के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और चंद्रमा का दर्शन करने के बाद व्रत तोड़ते हैं। व्रत रखने वाले भक्त फलों का सेवन करने के अलावा साबूदाने की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। गणेश जी का व्रत रखने के दौरान इन नियमों का पालन जरूर करें।
– सुबह सबसे पहले नहा कर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा कर पूजा करने के लिए भगवान गणेश की मूर्ति को ईशानकोण में चौकी में रखें।
– भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूब घास, लड्डू, पान, धूप आदि चढ़ाएं। फूल लेकर ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए अपनी मनोकामना कहकर गणेश जी को प्रणाम करें।
– इसके बाद एक केले का पत्ता लेकर, इस पर रोली से त्रिकोण बनाएं।
– त्रिकोण को कुछ इस तरह से सजाएं कि अगले भाग पर एक घी का दीपक रखें और बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च भी रखें।
– पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिलाकर दूध से अर्घ्य दें। पूजा के बाद लड्डू प्रसाद खाएं।
अलग-अलग कामनाओं के लिए पूजा भी है अलग
भौतिक सुख पाने के लिए गणेश जी पर बेलपत्र चढ़ाएं। पारिवारिक विपदा से मुक्ति के लिए गणेश जी पर चढ़े गोलोचन से घर के मेन गेट पर तिलक लगाएं। मांगलिक कार्यों को पूरा करने के लिए शक्कर मिली दही में छाया देखकर गणेश भगवान को चढ़ाएं।
गणेश चौथ का व्रत होता है सुबह से रात तक
गणेश चौथ का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता है। चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही इस व्रत को तोड़ा जाता होता है। इस दिन भगवान श्री गणेश के लिए व्रत किया जाता है। इसे संकष्टी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। महीने में दो बार चतुर्थी का व्रत होता है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तो वहीं शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। भगवान गणेश की पूजा कर, उन्हे तिल गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इससे आपको शुभ फल मिलेंगे।