नई दिल्ली की वास्तुकला को दो फेमस ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियन ने तैयार किया था। भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने औपचारिक रूप से 13 फरवरी, 1931 को देश की नई राजधानी के रूप में नई दिल्ली का उद्घाटन किया था।
1900 के शुरुआती दौर में ब्रिटिश प्रशासन ने
कोलकाता की जगह नई दिल्ली को भारत की राजधानी को बनाने की एक बड़ी वजह यह थी कि दिल्ली कई साम्राज्यों का वित्तीय और राजनीतिक केंद्र थी। दिल्ली शहर सल्तनत के साथ-साथ यहां 1649-1857 तक मुगलों का शासन भी रहा। भारत में अंग्रेजों के आने के बाद काफी बदलाव हुए थे। 1900 के शुरुआती दौर में ब्रिटिश प्रशासन ने नई दिल्ली को राजधानी का प्लान किया था।
दिसंबर 1911 में दिल्ली को राजधानी बनाने की आधारशिला
दिसंबर 1911 में दिल्ली को राजधानी बनाने की आधारशिला रखी गयी थी।
दिल्ली को राजधानी बनाने के पीछे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार तर्क था कि कोलकाता देश के पूर्वी तटीय भाग में और दिल्ली शहर उत्तरी भाग में है। इससे देश पर शासन करना आसान और अधिक सुविधाजनक होगा।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद इसका निर्माण
इतिहासकारों की मानें तो प्रथम विश्व युद्ध के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1931 तक पूरा निर्माण समाप्त हो गया। राजधानी के कोलकाता से नई दिल्ली स्थानांतरण में सरकारी काम में कोई परेशानी ना हो इस बात का भी विशेष ध्यान रखा गया।