दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (11 फरवरी) को जामिया के एक छात्र द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। छात्र ने पिछले साल 15 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंसा के दौरान अपनी आंख गंवा दी थी।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल तक के लिए टाल दिया।
याचिकाकर्ता मोहम्मद मिनहाजुद्दीन ने उसे आई चोट के लिए अपनी योग्यता के बराबर मुआवजा और घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी अनुरोध किया है। याचिका में अधिकारियों को उसके इलाज का खर्च उठाने का और उसकी योग्यता के अनुकूल स्थायी नौकरी उपलब्ध कराने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है। इसके अलावा याचिका में अदालत की निगरानी में एक समिति या एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से इस घटना की जांच कराने की भी मांग की गई है।
पिछले साल 15 दिसंबर को, जामिया के पास संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया था जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया था और सरकारी बसों एवं निजी वाहनों को आग लगा दी थी। बाद में पुलिस ने जामिया में प्रवेश कर आंसू गैस के गोले छोड़े और छात्रों पर लाठीचार्ज किया। पुलिसिया कार्रवाई में याचिकाकर्ता समेत कई छात्र घायल हो गए थे।