गुजरात में कच्छ जिले में एक कॉलेज के प्रिंसिपल समेत चार लोगों को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया, जिन पर आरोप है कि एक हफ्ते पहले उन्होंने कथित तौर पर 60 से ज्यादा छात्राओं को यह देखने के लिए अपने अंडरगारमेंट्स उतारने पर मजबूर किया था कि कहीं उन्हें पीरियड्स तो नहीं हो रहे हैं.
श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) के ट्रस्टी प्रवीण पिंडोरिया ने सोमवार को कहा कि प्रधानाचार्य रीता रानींगा, महिला होस्टल की रेक्टर रमीलाबेन हीरानी और कॉलेज की फोर्थ क्लास की कर्मचारी नैना गोरासिया को उनके खिलाफ एफआईआर होने के बाद शनिवार को सस्पेंड कर दिया गया.
भुज पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में इन तीनों के अलावा अनीता चौहान नाम की एक महिला को भी आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है. उसका कॉलेज से संबद्ध नहीं है.
अधिकारी ने बताया कि चारों नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपियों के खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 384, 355 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एसएसजीआई सेल्फ फाइनेंस कॉलेज है जिसका अपना महिला हास्टल है. यह इंस्टीट्यूट भुज के स्वामीनारायण मंदिर के एक ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है. कॉलेज क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय से संबद्ध है.
इस मामले के सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के सात सदस्यों के एक दल ने रविवार को हास्टल में रहने वाली उन छात्राओं से मुलाकात की जिन्हें कथित रूप से यह पता लगाने के लिए अंडरगारमेंट्स उतारने पर मजबूर किया गया था कि कहीं उन्हें पीरियड्स तो नहीं आ रहे.
इससे पहले एक छात्रा ने मीडियाकर्मियों को बताया था कि यह घटना 11 फरवरी को एसएसजीआई कैंपस में स्थित हॉस्टल में हुई थी.
उसने आरोप लगाया कि करीब 60 छात्राओं को महिला कर्मचारी शौचालय ले गईं और वहां यह जांच करने के लिए उनके अंडरगारमेंट्स उतरवाए गए कि कहीं उन्हें पीरियड्स तो नहीं हो रहे.
जांच के बाद कॉलेज की प्रभारी कुलपति दर्शना ढोलकिया ने कहा था कि लड़कियों की जांच की गई क्योंकि हास्टल में पीरियड्स के दौरान लड़कियों के दूसरे रहवासियों के साथ खाना न खाने का नियम है.
हास्टल की कर्मचारियों ने जांच करने का फैसला तब किया जब उन्हें पता चला कि कुछ लड़कियों ने नियम तोड़ा है. पुलिस ने पहले कहा था कि उसने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है और महिला पुलिस अधिकारियों को इसका सदस्य बनाया गया है.