प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी अपनी संगीत साधना के साथ ही लोक कलाओं के संवर्धन व संरक्षण का अभियान चला रही है। उनके गीत मात्र मनोरंजन के लिए नहीं है। बल्कि इससे भी आगे बढ़ कर वह लोक संगीत के प्रति जन मानस को जागरूक बनाती है।
क्योंकि इस लोक कला में भारत की संस्कृति का समावेश है। इस विलक्षण धरोहर को सहेज कर रखने की आवश्यकता है। इनमें परिवार व समाज जीवन की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति है। यह समरसता का संगीत है,इसमें प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव है,उत्साह है,उत्सव धर्मिता है।
इस वर्ष लोक निर्मला सम्मान समारोह में भी देश के अनेक क्षेत्रों के लोक संगीत के रंग दिखाई दिए। वैसे भी फागुन का समय है। प्रकृति में भी इसी के अनुरूप रंग व संगीत है। कलाकर इसे सुनते है,सुनाते है,जन मानस तक इसका संचार करते है। समारोह में खरसावां पुरलिया बंगाल का छाऊ लोकनृत्य हुआ। संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर लखनऊ कलाकार भावेश एवं दल ने प्रस्तुति दी।
लोकनिर्मला सम्मान का आकर्षण ललितपुर बुंदेलखंड उत्तरप्रदेश की राई फाग और सैरा भी था। इस समारोह में अपने पारंपरिक लोकनृत्य कालबेलिया को विश्वपटल पर स्थापित करने वाली पद्मश्री गुलाबो सपेरा को लोक निर्मला सम्मान मिला। मालिनी अवस्थी के आनुसार यह भी एक संयोग है कि वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा हम दोनों को एक साथ ही पद्मश्री प्रदान किया गया था।