बैंकों के सामने बैड लोन सबसे बड़ी समस्या है. इस समस्या से निजात पाने के लिए रिजर्व बैंक, पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है. रिजर्व बैंक के निर्देशों के तहत 1 जुलाई से अगर कोई ग्राहक ईएमआई का भुगतान नहीं करता है तो उसे बैंक से रोजाना मैसेज मिलेंग.
अमूमन बैंक और खासकर पब्लिक सेक्टर बैंक हर महीने के अंत में अपने ग्राहकों को मैसेज के जरिए अलर्ट करता है. लेकिन रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों साफ-साफ कहा था कि सभी बैंक अपने NPA को ऑटोमैटिक करें. यह काम रियल टाइम आधारित होगा जिसके कारण हर महीने के अंत में बैंकों को मैनुअली NPA का कैलकुलेशन नहीं करना होगा. बता दें कि रिजर्व बैंक ने बैड लोन की ऑटोमैटिक पहचान के लिए 30 जून 2021 की तारीख फिक्स की है.
सितंबर 2020 में आरबीआई ने निर्देश जारी किया था
सितंबर 2020 में इसको लेकर रिजर्व बैंक ने डेडलाइन फिक्स की थी. उसमें आरबीआई ने बैंकों से कहा था कि वे अपने आईटी सिस्टम को अपग्रेड करें जिससे कि एनपीए की पहचान आसानी से हो सके. साथ ही यह बैंक के अपने MIS में आसानी से दिखे. अभी बैंकों में इस तरह के कई काम पूरी तरह ऑटोमेटेड नहीं हैं. जैसे एनपीए की पहचान करना, इनकम की पहचान करना, प्रोविजिनिंग जैसे काम अभी भी पूरी तरह ऑटोमेटेड नहीं हैं.
आरबीआई शुरू से रहा है अलर्ट
माना जा रहा है कि सिस्टम आधारित असेट क्लासिफिकेशन और ऑटोमेटेड एनपीए अलर्ट सिस्टम से पारदर्शिता बढ़ेगी. इससे इन्वेस्टर्स, डिपॉजिटर्स और रेग्युलेटर्स का भी भरोसा बढ़ेगा. आरबीआई ने उस समय कहा था कि एनपीए की मैनुअल पहचान के कारण कई बार सिस्टम जेनरेटेड असेट क्लासिफिकेशन को दरकिनार कर दिया जाता है. रिजर्व बैंक इस मामले बहुत पहले से काफी अलर्ट रहा है. आरबीआई ने अगस्त 2011 में ही बैंकों को कहा था कि वे अपने आईटी इन्फ्रा पर सही तरीके से काम करें जिससे एनपीए की पहचान जैसे काम ऑटोमेटिक हो.