लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि अपने देश में डीजल और पेट्रोल के मूल्य भी कारपोरेट घरानों के दबाव में लगातार बढ़ते जा रहे हैं जबकि सम्पूर्ण देश के कोने कोने में त्राहि-त्राहि मची हुयी है और मंहगाई अपना मुंह सुरसा की तरह फैलाती चली जा रही है।
उन्होंने कहा कि जब पेट्रोल और डीजल की कीमत कम थी तो कारपोरेट घरानों की ई-वाहन बनाने वाली फैक्ट्रियों से दोपहिया वाहन नाम मात्र को बिकते थे और चार पहिया वाहन बिल्कुल नहीं बिकते थे। देश में ई-वाहन की बिक्री बढाकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से आम जनता की आवाज न सुनकर लगातार डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाये जा रहे हैं। इस प्रकार तेल कम्पनियों के साथ साथ ई-वाहन फैक्ट्रियों के मालिकों को भी निरंतर लाभ पहुंचाया जा रहा है। यह कहना तर्क संगत होगा कि केन्द्र सरकार एक टिकट से दो खेल रही है।
डाॅ. अहमद ने कहा कि जिस प्रकार तीनों काले कृषि कानून पूंजीपतियों के दबाव में पास किये गये और लाखों किसान 7 महीने से आन्दोलित हैं परन्तु सरकार के ऊपर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है क्योंकि सरकार ने पूंजीपतियों से साठगांठ करके सैकड़ों एकड में उनके गोदाम पहले ही तैयार करा दिये। ठीक उसी प्रकार ई-वाहन निर्मित करने वाली फैक्ट्रियों के मालिकों से भी उनकी बिक्री बढ़ाने की साठगांठ की गयी है। यही कारण है कि आम जनता के द्वारा त्राहि त्राहि करने के बावजूद पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्य कम नहीं हुये हैं।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुये कहा कि पूंजीपतियों के प्रेम को छोड़कर आम जनता के दुख दर्द पर राहत पहुंचाने का प्रयास किया जाय और डीजल और पेट्रोल की कीमते नियंत्रित की जाय ताकि मंहगाई का बोझ कम हो सके और मध्यमवर्गीय परिवार के घावों पर मरहम लग सके।