उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश मर हो रहे संगठित अपराध को रोकने के लिए विधानसभा में उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम यानी कि UPCOCA बिल पेश किया था। बता दें कि विधानमंडल के बजट सत्र में दोबारा आया यूपीकोका बिल बिना किसी संसोधन के पारित हो गया है।
क्या है UPCOCA
मुख्यमंत्री द्वारा विधानमंडल के बजट सत्र में आया यूपीकोका बिल पारित हो गया है। अब इस बिल से प्रदेश में अपराधों पर लगाम लगना तय है। यह बिल लगभग इसी तरह के बने बिल मकोका यानी कि ‘महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्ग्नाइज्ड क्राइम एक्ट’ की तर्ज पर बना है।
मकोका यानी कि महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्ग्नाइज्ड क्राइम एक्ट यूपीकोका मकोका यानी कि महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्ग्नाइज्ड क्राइम एक्ट की तर्ज पर है। जानकारों की माने तो मकोका में जमानत का प्रावधान नहीं और कम से कम पांच साल कैद मिलती है।
जाने यूपीकोका के बारे में
- यह संगठित अपराध पर नियंत्रण के लिए लागु की गयी है।
- संगठित अपराध बड़े पैमाने पर किए जाने वाले अपराध होते हैं।
- संगठित अपराधों में अपराधियों का बड़ा समूह काम करता है ,जैसे किडनैपिंग, जबरन वसूली, मर्डर आदि।
- संगठित अपराधों की जांच पहले कमिश्नर और आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे। तत्पश्चात पुलिस उनसे स्वीकृति मिलने के बाद पुलिस आरोपी के खिलाफ यूपीकोका के तहत केस दर्ज कर सकेगी।
- उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम यानी कि यूपीकोका के तहत अपराधी को कोई सरकारी सुरक्षा नहीं दी जाएगी।
- इसके अलावा अपराधी के साथ कोई रहम नहीं बरता जाएगा।
- यूपीकोका के तहत अपराधी की आय के स्रोतों पर भी रोक लग जाएगी।
- अपराधियों के खिलाफ गवाही देने वाले की मदद की सुरक्षा का ख्याल रखा जाएगा।
- अपराधियों के मदद करने वाले अफसर व व्यक्ति भी दोषी माने जाएंगे।
- यूपीकोका बिल के तहत शिनाख्त के लिए फोटो, वीडियो आदि मान्य होंगे।
- इसके अलावा इसमें अपराधी की संपत्ति की कुर्की आदि का भी प्रावधान है।
- संगठित अपराध में किसी की मृत्यु होने की स्थिति में मृत्युदंड या आजीवन कारावास भी दिया जा सकता है।
- इसके तहत न्यूनतम 25 लाख रुपये के अर्थदंड दिए जाने का भी प्रावधान है।
- अन्य दूसरे मामलों में कम से कम 7 साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है जिसमे न्यूनतम 15 लाख रुपये का अर्थदंड भी प्रस्तावित है।