लखनऊ। भारतीय राजनीति में बलिया जिले का अहम स्थान रहा है। बलिया से ताल्लुक रखने वाले चंद्रशेखर जी ऐसे राजनेता रहे हैं जिन्होंने केंद्र या राज्य में कभी मंत्री पद पर रहे बिना सीधे प्रधानमंत्री पद हासिल किया था। करीब 41 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि इस जिले से फिर एक नेता सीधे राज्य सभा में डिप्टी स्पीकर यानी उप सभापति की दौड़ में सबसे आगे हैं। उनका नाम है हरिवंश। यह एनडीए के संयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं। फिलहाल, हरिवंश जदयू से राज्यसभा सांसद हैं।
हरिवंश नारायण सिंह होंगे उपसभापति उम्मीदवार
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू के मुताबिक राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव 9 अगस्त को करवाया जाएगा। एनडीए के उम्मीदवार जेडीयू के सांसद हरिवंश नारायण सिंह होंगे। हालांकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के पास उतनी संख्या नहीं है कि वो अपने दम पर किसी उम्मीदवार को जिता सके। बहरहाल, पेशे से पत्रकार रहे हरिवंश नारायण सिंह 2014 से जदयू से राज्यसभा सांसद हैं। इनका जन्म 30 जून 1956 को बलिया के सिताबदियारा गांव में हुआ था। 1976 में बीएचयू से अर्थशास्त्र में इन्होंने एमए किया और 1977 में बीएचयू से ही पत्रकारिता में डिप्लोमा की डिग्री हासिल की थी। हरिवंश पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पीआरओ भी रह चुके हैं।
66 सालों में से 58 सालों तक
वैसे तो कांग्रेस के उम्मीदवार ही अब तक राज्यसभा के उपसभापति बनते आए हैं। सिर्फ एक ऐसा हुआ जब यह पद विपक्षी दल के पास गया था। पिछले 41 सालों से कांग्रेस के पास डिप्टी स्पीकर का पद है और पिछले 66 सालों में से 58 सालों तक यह पद उसी के पास रहा है। लेकिन इस बार कांग्रेस के पास भी जरूरी समर्थन नहीं है। ऐसे में विपक्ष और सत्ताधारी दल दोनों ही इस पद पर अपना उम्मीदवार पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हैं।
पी. जे. कुरियन के सेवानिवृत्त
राज्यसभा में कुल 245 सीटों में एनडीए के पास 115 सीट है। यूपीए के पास 113। अन्य दलों के पास 16 सीटें हैं और 1 सीट खाली है। उपसभापति की जीत के लिए कुल 125 सीटें चाहिए। राज्य सभा के उपसभापति का पद जून महीने में पी जे कुरियन के सेवानिवृत्त होने के बाद से खाली है। कुरियन केरल से कांग्रेस के राज्य सभा सांसद थे। माना जा रहा है कि हरिवंश अन्य दलों का सहयोग आसानी से हासिल कर लेंगे। यदि वे जीतते हैं तो एक बार फिर भारतीय राजनीति में बलिया सिरमौर होगा।