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टीबी रोगियों की देखभाल में वरदान साबित हो रहे ‘निक्षय मित्र’

• सितंबर 2022 से अब तक 3864 टीबी ग्रसित वयस्क लिए गए गोद

• तीन साल में 1842 टीबी ग्रसित बच्चे लिए गए गोद, 1573 हुए स्वस्थ

• टीबी मरीजों को पोषक आहार के साथ ही मिल रहा भावनात्मक सहयोग

वाराणसी। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सामाजिक संस्थाएं, विभिन्न संगठन और व्यक्तिगत तौर पर लोग टीबी ग्रसित मरीजों की मदद को आगे आकर स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर काम करने को तैयार हैं। इसी के तहत पिछले साल सितंबर में निक्षय मित्र की मुहिम शुरू हुई थी, जिसका जनपद में सकारात्मक परिणाम दिख रहा है। जनपद में वर्तमान में 189 निक्षय मित्र क्षय रोगियों के उपचार और पोषण में सहयोग कर रहे हैं। इन निक्षय मित्रों ने सितंबर 2022 से अब तक 3864 वयस्कों को गोद लिया है जोकि उपचार पर हैं।

क्षय ग्रसित बच्चों को गोद लेने की पहल जनपद में वर्ष 2019 में हुई थी, तब से अब तक 18 वर्ष तक के 1842 बच्चों को गोद लिया गया, जिसमें 1573 बच्चे स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 269 बच्चे उपचार पर हैं।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी व जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय सहित विभाग के कई अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी भी क्षय रोगियों को गोद लेकर उनकी मदद कर रहे हैं।

सीएमओ का कहना है कि टीबी रोगियों के लिए दवा के साथ-साथ प्रोटीनयुक्त पोषक आहार का सेवन बहुत ही जरूरी होता है। धन के अभाव में बहुत से टीबी रोगी पोषक खाद्य पदार्थो का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। इस कार्य में निक्षय मित्र भरपूर सहयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए सभी के साझा प्रयास की बड़ी जरूरत है।

सेहत के लिए वरदान है बाजरा

कुसुम मेमोरियल फ़ाउंडेशन ने सितंबर में टीबी से ग्रसित छह बच्चों को गोद लेकर उनके स्वस्थ होने की ज़िम्मेदारी ली थी । दो साल से कार्यरत फ़ाउंडेशन के प्रमुख अनूप कुमार सिंह बताते हैं कि जिला क्षय रोग केंद्र के स्वास्थ्यकर्मियों से प्रेरित होकर निक्षय मित्र बने और टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने का निर्णय लिया। शुरुआत में ज्यादा कुछ पता नहीं था तो स्वास्थ्यकर्मियों से सलाह ली, जिसमें उन्होने पूरा सहयोग किया।

उन्होने जरूरतमंद परिवारों के पाँच वर्ष से 16 साल के छह बच्चों को गोद लिया। हर सप्ताह बच्चों का हालचाल लेते हैं और उनके परिजनों से भी मिलते हैं। वह ऐसे परिवार से हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन अपने बच्चे को जल्द से जल्द स्वस्थ देखना चाहते हैं। इसके साथ ही वह हर माह पोषण पोटली भी प्रदान कर रहे हैं जिसमें भुना चना, गुड़, मूँगफली, गुड़-मूँगफली की चिक्की, सत्तू और अन्य पोषक सामग्री शामिल हैं है। पोषण पोटली का उपयोग सिर्फ क्षयरोगी ही कर रहा है, इसके लिए भी वह फॉलो-अप करते हैं। अनूप बताते हैं कि डोट्स की दवा से तीन बच्चे ठीक महसूस कर रहे हैं लेकिन उन्हें पूरे छह माह तक दवा खाने के लिए कहा गया है। बड़ी पियरी निवासी राजेश ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से मिल रही दवा और संस्था के सहयोग से उनकी बच्ची स्वस्थ हो रही है। हर माह पोषण पोटली भी मिल रही है जिससे उसे पोषक तत्व मिल रहें हैं।

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माँ गायत्री जन सेवा ट्रस्ट ने भी सितंबर 2022 में 10 क्षय रोगियों को गोद लिया था। ट्रस्ट के अध्यक्ष और पेशे से चिकित्सक डॉ गौरी शंकर दुबे बताते हैं कि वर्ष 2019 में ट्रस्ट की शुरुआत की थी जिसका आशय मरीजों की सेवा करना है। कोरोना काल में भी मरीजों को मदद पहुंचाई। वह टीबी के मरीजों को पहले से ही देखते थे और जब उन्हें निक्षय मित्र के बारे में पता चला तो उन्होने अपना पंजीकरण कराया और 10 क्षय रोगियों को गोद लिया।

वह ट्रस्ट के माध्यम से व्यक्तिगत खर्चे से सभी रोगियों को हर माह पोषण पोटली दे रहे हैं। साथ ही चिकित्सक होने के नाते नियमित फॉलो अप भी करते हैं। वह बताते हैं कि सभी क्षय रोगियों का उपचार ठीक तरह से चल रहा है। एक भी दिन दवा न छूटे इसके लिए वह मरीजों को प्रेरित करते रहते हैं। खानपान ठीक हो रहा है या नहीं, इसके बारे में वह परिजनों से नियमित बात करते हैं और उनकी ओर से दिये जा रहे परामर्श का पालन भी करते हैं।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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