कांवड़ यात्रा के लिए मेरठ जिले का रूट डायवर्जन प्लान तैयार हो गया है। सभी सीमावर्ती जिलों से चर्चा के बाद 4 जुलाई से इसे जनपद में लागू करने की तैयारी है। अफसरों की मानें तो शुरुआती 9 दिन कांवड़ रूटों पर वन-वे और फिर आखिरी तीन दिन ट्रैफिक पूर्ण रूप से पाबंद होगा।
जुलाई से श्रावण मास शुरू हो रहा है। ऐसे में सड़कों पर कांवड़ियों की भीड़ बढ़ेगी। वाहनों के चलते किसी तरह का व्यवधान पैदा न हो, इसको देखते हुए इसी दिन से रूट डायवर्जन प्लान लागू करने की तैयारी है। जिले में कुल आठ कांवड़ मार्ग हैं, जिनमें से चार पर मुख्य रूप से फोकस किया गया है। इन रूटों पर ही रूट डायवर्जन लागू होगा।
दिल्ली, नोएडा व गाजियाबाद से मुजफ्फरनगर, हरिद्वार और सहारनपुर जाने वाले वाहन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे से डासना इंटरचेंज से नीचे उतारते हुए पिलखुवा के रास्ते हापुड़ बाइपास, टियाला अंडरपास, किठौर, परीक्षितगढ़, हस्तिनापुर होते हुए रामराज से गंतव्य की ओर बढ़ेंगे। वापसी के लिए इसी रूट की मदद से सफर हो सकेगा।
राजस्थान के कांवड़ियों ने शुक्रवार को जिले में दस्तक दे दी। यह जयपुर के कांवड़िये बताए गए। माना जा रहा है कि जल्द ऐसे कांवड़ियों की संख्या बढ़ सकती है। इसको देखते हुए फिलहाल डायल 112 को कांवड़ रूट पर लगाया गया है। स्पॉट चिह्नित कर उनकी ड्यूटी लगा दी गई है, ताकि किसी कांवड़िये को कोई दिक्कत हो तो तत्काल मदद मिल सके।
कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन युद्ध स्तर पर तैयारियों को पूर्ण करने में जुटा है। सीमावर्ती जिले गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत और बिजनौर के प्रशासन से रूट डायवर्जन पर चर्चा हो चुकी है और उनकी हरी झंडी भी मिल चुकी है। ऐसे में सभी जिले रूट पर मौजूद खामियों को दूर करने में जुटे हैं।