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King Mahabubabad की करोड़ों की संपत्ति होंगी नीलाम

लखनऊ। राजा महमूदाबाद King Mahabubabad की तीस हजार करोड़ से ज्यादा मूल्य की संपत्तियां अब नीलाम होंगी। भारत सरकार देश में मौजूद शत्रु संपत्तियों की नीलामी करेगी। शत्रु संपत्तियों में राजा महमूदाबाद की बड़ी प्रापटी शामिल हैं।

King Mahabubabad के नाम दर्ज

10 सितंबर 1965 के पूर्व राजा महमूदाबाद King Mahabubabad के नाम दर्ज संपत्तियां सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी जिलों में हैं। इन शत्रु संपत्तियों का राज्य सरकार ने अक्टूबर 2006 में आंकलन कराया था। उस समय इनकी कीमत 30 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थीं।

राजा महमूदाबाद की संपत्ति

1.लखनऊ- बटलर पैलेस क्षेत्रफल 58 बीघा, कंकड़ कोठी हजरतगंज और मकबरा साहब हजरतगंज।
2.लखीमपुर खीरी- पुलिस अधीक्षक आवास भूमि गाटा संख्या-1324 व 1326 ।
3.सीतापुर- मोहल्ला सिविल लाइन्स कालोनी, प्रेमनगर कालोनी, बैजनाथ कालोनी, डीएम, एसपी और सीएमओ आवास के साथ ही तहसील बिसवां व महमूदाबाद में भूमि, तालाब, इमारतें आदि।
4.बाराबंकी- गाटा संख्या-2606/1 रकबा 4 बीघा से अधिक, गाटा-2606/2 रकबा 8 विस्वा से अधिक, गाटा-2607 रकबा 15 विस्वा से अधिक, गाटा-2609 रकबा 5 बीघा से अधिक, गाटा-2610 रकबा 3 बीघा 17 विस्वा।

क्या है शत्रु संपत्ति

1947 में देश के बंटवारे, 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंगों के दौरान या उसके बाद भारत छोडकऱ पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है और उनकी संपत्तियों का शत्रु संपत्ति। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई। शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की धारा 8-ए की उपधारा-1 के अनुसार शत्रु संपत्ति का मतलब उस संपत्ति से है, जिसका मालिकाना हक या प्रबंधन ऐसे लोगों के पास था, जो बंटवारे के समय देश को छोड़कर यानी भारत से चले गए थे।

पाकिस्तान की नागरिकता ले ली

राजा महमूदाबाद की संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। महमूदाबाद के राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान थे। महमूदाबाद सीतापुर जिले का एक कस्बा है। जब भारत का विभाजन हुआ तब वह ईराक में रह रहे थे। 1957 में राजा मोहम्मद आमिर खान ने भारत की नागरिकता छोडकऱ पाकिस्तान की नागरिकता ले ली। लेकिन, इनका परिवार भारत में ही रह गया। इसके बाद भारत छोडकऱ पाकिस्तान जाकर बसे लोगों की संपत्तियों के लिए भारत के रक्षा नियम (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स) 1962 के तहत इनकी संपतियां भारत सरकार ने अपने संरक्षण में ले लीं। इन शत्रु संपत्तियों का राज्य सरकार ने अक्टूबर 2006 में आकलन कराया था। तब इनकी कीमत 30 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थीं।

 

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