एक फिल्म को बनने में कई लोगों की रात-दिन की मेहनत और पैसा दोनों लगता है. एक-एक सीन को बेस्ट बनाने के लिए मेकर्स घंटों शूट करते हैं. ‘पठान’, ‘गदर-2’ और फिर ‘जवान’ का तहलका बॉक्स ऑफिस पर मचा इन फिल्मों ने अपने बजट के कई गुना ज्यादा की कमाई की और दूसरे मेकर्स के लिए एक बड़ा चैलेंज खड़ा दिया.लगातार हिट फिल्मों के बीच बीते हफ्ते एक फिल्म रिलीज हुई. भारी भरकम बजट में बनी इस फिल्म को रिलीज हुए 6 दिन से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन ये फिल्म दर्शकों के लिए तरस रही हैं.
विकास बहल बॉलीवुड के ऐसे डायरेक्टर्स में से एक हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों को डायरेक्ट किया और लोगों के दिलों में खास जगह बनाई. हाल ही में उन्होंने 200 करोड़ के बजट में बनी साइंस-फाई थ्रिलर फिल्म बनाई. हाल ही में उस फिल्म का खुलासा करते हुए डायरेक्टर ने कहा कि फिल्म की कहानी सुनते ही वह डाउट में थे. हाल ही में उन्होंने फिल्म मेकिंग के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का भी खुलासा किया.
‘मैं भी नहीं जानता कि कैसे बताऊं’
विकास बहल ने हाल में एक इंटरव्यू के दौरान टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन की फिल्म ‘गणपत’ को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि ये फिल्म डिस्टोपियन 2077 पर आधारित है, जिसमें टाइगर श्रॉफ एक मसीहा जैसा किरदार निभाया. उन्होंने कहा, ‘मैं यह कहानी लिख रहा था और जैसे-जैसे मैं इसे लिखता चला गया, समय के साथ ये कहानी भी बदलती चली गई. मुझे खुद ही पता नहीं चला कि कब यह कहानी भविष्य की कहानी बन गई, तब मुझे एहसास हुआ कि मैंने खुद को इस स्थिति में डाल दिया है, जहां मैंने यह कहानी बनाई है कि मैं भी नहीं जानता कि कैसे बताऊं, लेकिन मुझे पता था कि मुझे ऐसा करना होगा.’
फिल्म बनाते समय सबसे बड़ा चैलेंज क्या था?
फिल्म के सब्जेक्ट और स्टाइल को उन्होंने अपनी सबसे बड़ी चुनौती बताई. उन्होंने कहा, ‘जब आप कोई ऐसी कहानी बताते हैं, जो भविष्य पर आधारित होती है तो आपने उसे नहीं देखा होता है. किसी के पास नहीं है. हर किसी के दिमाग में अपना-अपना संस्करण चल रहा है. कुछ भी सही या गलत नहीं है. अब से 30 साल बाद हम नहीं जानते कि हम उड़ने वाली कार में होंगे या बैलगाड़ी में वापस आएंगे. मैं हर किसी को अपनी कल्पना के अनुरूप बनाना चाहता था और अपनी टीम से सुनना चाहता था कि उनकी कल्पना क्या है, उनका संस्करण क्या है.’
जब हर घड़ी डायरेक्टर को लगा- ‘क्यों यह पंगा ले लिया’
विकास बहल ने हाल ही में कहा, ‘इस यात्रा के हर सेकंड में मुझे लगा कि क्यों यह पंगा ले लिया, मैं इसमें क्यों आया? मैंने सोचा कि मैं अपने कम्फर्ट जोन में रह सकता था, लेकिन यह एक अच्छा एहसास था. वह संदेह और घबराहट लगातार बनी हुई थी. मैंने इसे कभी नहीं छोड़ा, क्योंकि मैं ऐसा ही महसूस करना चाहता था, ताकि मैं सीखता रहूं. मैं हमेशा एक छात्र बने रहना चाहता हूं. सीखने के लिए वो घबराहट जरूरी है. वह सीख तकनीकी या भावनात्मक हो सकती है, लेकिन आपको उसे जारी रखना होगा.