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झारखंड के 12वें राज्यपाल बने बरेली के संतोष गंगवार, शपथ समारोह के साक्षी बने शहरवासी

बरेली से आठ बार के सांसद रहे संतोष गंगवार ने बुधवार को झारखंड के 12वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली। रांची स्थित राजभवन में झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधानसभा के स्पीकर रबींद्रनाथ महतो, झारखंड सरकार के कई मंत्री, विभिन्न दलों के नेता, वरिष्ठ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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राज्यपाल संतोष गंगवार के परिवारीजन एवं बरेली के कई शहरवासी भी गौरवपूर्ण पलों के साक्षी बने। शपथ लेने के पूर्व संतोष गंगवार ने बिरसा मुंडा स्मृति पार्क-सह-संग्रहालय जाकर धरतीआबा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

झारखंड के 12वें राज्यपाल बने बरेली के संतोष गंगवार, शपथ समारोह के साक्षी बने शहरवासी

झारखंड के नवनियुक्त राज्यपाल संतोष गंगवार मंगलवार शाम रांची पहुंच गए थे। रांची एयरपोर्ट पहुंचने पर पर गार्ड ऑफ ऑनर के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य मंत्रियों ने संतोष गंगवार का स्वागत किया। इस दौरान बरेली से साथ गए करीबी लोग भी मौजूद रहे।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए भी शहर को कई लोगों को राजभवन से आमंत्रण मिला। ये लोग बुधवार सुबह फ्लाइट से रांची पहुंचे। उप्र उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय महामंत्री राजेंद्र गुप्ता के साथ दुर्गेश खटवानी, संजीव चांदना, राजेश जसोरिया भी समारोह में शामिल हुए।

परिवार और करीबियों के साथ पहुंचे राजभवन

राज्यपाल संतोष गंगवार के साथ उनका बेटा अपूर्व, बेटी श्रुति व दामाद सुबोध भी रांची पहुंचे। आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त, लोक सेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ. प्रदीप जोशी, ब्रज क्षेत्र के सह मीडिया प्रभारी मनीष अग्रवाल, भाजपा नेता मनोज थपलियाल आदि लोग शपथ समारोह में शामिल हुए।

बरेली से राज्यपाल नियुक्त होने वाले संतोष गंगवार पहले राजनेता हैं। वह वर्ष 1989 से वर्ष 2004 तक लगातार सांसद रहे। सिर्फ वर्ष 2009 में कांग्रेस ने उनका विजय रथ रोका था। उसके बाद वर्ष 2014 व 2019 में वह फिर लगातार सांसद चुने गए। वह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी व मोदी सरकार में मंत्री भी रहे।

बेदाग व जनप्रिय रहते हुए लंबा सियासी सफर तय करने वाले संतोष गंगवार भाजपा से सदैव अनुशासित सिपाही के रूप में जुड़े रहे। आठ बार सांसद रहने और कोई बड़ा विरोध न होने के बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट काटे जाने पर भी वह विचलित नहीं हुए थे।

राज्यपाल नियुक्त किए जाने पर अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा था कि पार्टी ने हमारा बहुत साथ दिया। इसके लिए पार्टी के हम आभारी हैं। क्योंकि पार्टी ही चुनाव लड़ाती है। हमसे जो हो सका, वह हमने किया। उन्होंने कहा था कि उन्हें पद की कोई इच्छा नहीं थी। पार्टी ने जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे बखूबी निभाऊंगा।

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