• माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया आयोजन
लखनऊ। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता प्रबन्धन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ‘स्वच्छ गरिमा विद्यालय’ विषय पर समग्र शिक्षा (माध्यमिक) उप्र एवं यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में होटल गोल्डन ट्यूलिप, लखनऊ में दो दिवसीय (7-8 जनवरी 2025) कार्यशाला सम्पन्न हुई।
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कार्यशाला का उद्घाटन महानिदेशक स्कूल शिक्षा सुश्री कंचन वर्मा द्वारा किया गया। कार्यशाला के प्रथम सत्र में महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को समय-समय पर माहवारी स्वच्छता प्रबंधन और उससे संबंधित उपलब्ध उपायों, अवशोषकों के बारे में बताये जाने पर बल दिया।
कार्यशाला में यूनीसेफ के विशेषज्ञों ने कहा कि माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर चर्चा किशोरियों को सशक्त करने के साथ ही किशोरियों को समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है। यह कार्यक्रम आधी आबादी के सशक्तिकरण का कार्यक्रम है जिसमें सभी नोडल शिक्षक प्रेरक का कार्य कर रहे है।
प्रतिभागी नोडल शिक्षकों को बताया कि स्वच्छ गरिमा विद्यालय कार्यक्रम किशोरियों की निजी गोपनीयता, गरिमा, आत्म-सम्मान और सुरक्षा से संबंधित कार्यक्रम है। भारत में क़रीब 35.5 करोड़ से अधिक महिलायें मासिक धर्म की आयु वर्ग में है, उनमें से लाखों की संख्या में आज भी एक सहज और गरिमापूर्ण मासिक धर्म का अनुभव करने के लिए अनेक सामाजिक बाधाओं का सामना करती हैं।
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों के दौरान विभिन्न वार्ताकारों द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में गरिमापूर्ण माहवारी स्वच्छता प्रबंधन सुविधाओं एवं मानक संचालन प्रक्रिया, गरिमा क्लब, गरिमा संवाद, गरिमा कॉर्नर, अवशोषक आपूर्ति, दर्द प्रबंधन सुविधा, माहवारी अनुपालक बालिका शौचालय, मासिक धर्म अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता शनिवार, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन प्रश्न पेटिका, स्वास्थ्य सहायता और परामर्श आदि पर विस्तृत जानकारी दी गई।
कार्यशाला के समापन अवसर पर विष्णु कान्त पाण्डेय, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा (मा0), उ0प्र0 ने बताया कि यह नितांत आवश्यक है कि विद्यालयों के माध्यम से किशोरियों को माहवारी के प्रति सजगता एवं संवेदनशीलता विकसित हो।
इस उद्देश्य के लिए प्रशिक्षित नोडल षिक्षिकाएं प्रमुख भूमिका निभायें जिससे कि भावी पीढ़ी का उचित मार्गदर्शन हो सके। साथ ही उन्होंने शिक्षिकाओं के द्वारा दिए गए सुझावों को सराहा तथा शिक्षिकाएं अपने स्तर पर समस्याओं के निदान करने का प्रयास करें इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस संवेदनशील विषय को किशोरियों तक पहुचाने में नोडल शिक्षिकाओं को गरिमा दूत के रूप में संबोधित कर उनके महत्व पर बल दिया।
उक्त कार्यशाला में प्रदेश के समस्त जनपदों से एक-एक नोडल शिक्षिका द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला में प्रतिभागी नोडल शिक्षकों को यूनीसेफ के अमित मेहरोत्रा, चीफ फील्ड आफिसर, कुमार विक्रम, विशेषज्ञ के साथ-साथ ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी