हड़जाेड़ ( Hadjod ) को आयुर्वेद में हड्डी जोड़ने की अच्छा दवा बताया गया है. इसे अस्थि संधानक या अस्थिशृंखला ( asthisamharaka ) के नाम से भी जानते हैं. यह छह इंच की खंडाकार बेल होती है. इसके हर खंड से एक नया पौधा पनप सकता है. दिल के आकार जैसी दिखने वाली पत्तियों वाले इस पौधेे में लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं.जानते हैं इसके बारे में:-
उपयोग व लाभ
भूरे रंग का हड़जाेड़ ( Cissus quadrangularis ) पौधा स्वाद में कसैला व तीखा होता है. इसकी बेल में हर 5-6 इंच पर गांठ होती है. इस पौधे की प्रकृति गर्म होती है. जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह टूटी हड्डियों को जोड़ने मेंं अच्छा है ( plants used for healing of bone fracture ). यह खाने व लगाने दोनों में कार्य आता है.
ऐसे लें :
250-500 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ लें. इसका रस निकालकर ठंडे दूध के साथ ले सकते हैं. इसका 5-6 अंगुल तना लेकर बारीक टुकड़े काटकर काढ़ा बना लें औरसुबह-शाम पीएं.
खास बातें : हड़जाेड़ ( veld grape ) में सोडियम, पोटैशियम, कार्बोनेट भरपूर पाया जाता है. इसमें उपस्थित कैल्शियम कार्बोनेट व फॉस्फेट हड्डियों को मजबूत करता है. आयुर्वेद सेंट्रल प्रयोगशाला के एक शोध में पाया गया कि हड़जाेड़ ( devil’s backbone ) के उपयोग से हड्डी के जुड़ने का समय 33-50 प्रतिशत तक कम हो जाता है. यानी प्लास्टर के साथ हड़जाेड़ ( pirandai ) लिया जाए तो हड्डी जल्दी जुड़ती है. ये हड्डियों को लचीला भी बनाता है इसलिए इसका इस्तेमाल खिलाड़ी भी करते हैं.
अन्य लाभ : हड़जाेड़ ( adamant creeper ) का पौधा प्राकृतिक एनाबॉलिक हार्मोंस को नियंत्रित रखता है जिससे यह ऑस्टियोपोरोसिस रोग से बचाता है. इसमें कीटोस्टेरॉयड्स पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रित रखते हैं. इस पौधे की खासियतों में सूजन घटाना, जोड़ों मेंं दर्द दूर करना व हड्डियों को मजबूती देना शामिल हैं. इस पौधे को एक दर्द निवारक के रूप में भी प्रयोग में ले सकते हैं. बहुगुणी होने के कारण इसे सरलता से घर पर भी उगाया जा सकता है.