देश के सबसे महान या यूं कहें विवादित पेंटर्स की उपलब्धियां गिनाई जाए या विवाद, समझ नहीं आता। वास्तव में उनकी उपलब्धियों के समानांतर उनसे जुड़े विवाद भी उतने ही प्रचलित हैं। नास्तिकता की कोई सीमा अगर किसी ने तय की होगी तो उस सीमा को एमएफ हुसैन ने अपनी कला के माध्यम से लांघ दिया। उस सीमा के परे जाकर वह अपनी कला के बीज रोपते थे। वह बीज बड़ा होकर पौधे की शक्ल में लहलहाता तो बहुत था लेकिन उसके पेड़ की शक्ल लेते-लेते लोग उसे काटने के लिए भी आतुर हो जाते थे।
ख़ैर, आज एम.एफ हुसैन का जन्मदिन है। आज ही के दिन 17 सितंबर, 1915 में महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक मुस्लिम परिवार में जन्में हुसैन पेंटिंग की दुनिया में सफलता के शिखर तक पहुंचे, पर कभी-कभी हमें अपनी सफलता के लिए कड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। एमएफ हुसैन को भी चुकानी पड़ी, एमएफ हुसैन का पूरा नाम मकबूल फिदा हुसैन था। पेंटिंग की दुनिया में अच्छी खासी मकबूलियत हासिल करने से पूर्व हुसैन ने लंबा संघर्ष किया।
यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि संघर्ष के दिनों में वो फिल्मों के लिए होर्डिंग बनाया करते थे। शुरुआत में हुसैन को पेंटर नहीं फिल्म निर्देशक बनना था। यही कारण था कि वह मुंबई आ गए। यहां अपना खर्च चलाने के लिए वो बिलबोर्ड बनाने का काम करते थे, हांलाकि यहीं से उनके किस्मत का दरवाजा भी खुला। उन्होंने पेंटिंग करनी शुरू की और अपना पूरा ध्यान इसी ओर लगा लिया।1940 में उन्हें अपने बनाए चित्रों की वजह से राष्ट्रीय रूप से पहचान मिली।
85 की उम्र में किया निर्देशक बनने का सपना पूरा-
जो सपने जवानी में पूरे न हो सके, वो उन्होंने बुढ़ापे में पूरा किया। 85 साल के उम्र में उन्होंने अपनी पसंदीदा एक्ट्रेस माधुरी के साथ ‘गजगामिनी’ नाम के फिल्म का प्रदर्शन किया। सिर्फ माधुरी ही नहीं हुसैन तब्बू, विद्या बालन और अमृता राव के भी प्रशंसक रहे हैं। उन्होंने तब्बू के साथ फिल्म बनाई थी, जिसका नाम था ‘मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज’।
हुसैन की पेंटिंग पर क्यों होता था इतना विवाद-
हुसैन पर हिंदू देवी-देवताओं की अश्लील पेंटिंग बनाने का आरोप है। इसके विरोध में हुसैन के खिलाफ देश भर में कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए। 2006 में इंडिया टुडे मैगजीन के कवर पेज पर भारत माता की एक नग्न तस्वीर की वजह से हुसैन की काफी आलोचना हुई थी। हिंदू के साथ-साथ कई इस्लामिक संगठन भी हुसैन के कट्टर विरोधी थे।
जब देश छोड़ने पर मजबूर हुए हुसैन-
साल 2006 देशभर में एमएफ हुस्सैन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन सख्त हो गए। मुकदमे हुए, जान से मारने की धमकियां मिलनी तेज हो गईं, हर तरफ से विरोधी स्वर बुलंद होने लगे और आखिरकार हुसैन ने भारत छोड़ने का मन बना लिया। चार सालों तक लंदन और दोहा जैसे देशों में गुजारने के बाद साल 2010 में कतर से उन्हें नागरिकता मिली, हांलाकि अगले ही साल 9 जून को लंदन में उनकी मृत्यु हो गई।