पाक के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदुओं के विरूद्ध अपनी हरकतों के लिए ने एक बार फिर बोला है कि बीते महीने घोटकी में हुई हिंदू विरोधी हिंसा में उसका हाथ नहीं था। दंगे के इस मुद्दे की जाँच चल रही है व हिंदू संगठनों तथा मानवाधिकार संगठनों ने इस मुद्दे में मियां मिट्ठू की किरदार को कठघरे में खड़ा किया है। हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म पविर्तन कर उन्हें मुसलमान बनाने के लिए कुख्यात मियां मिट्ठू सिंध प्रांत में जहां जा रहा है, वहीं पर यही सफाई दे रहा है कि घोटकी हिंसा में उसका हाथ नहीं था। जबकि, आरोप है कि उसके घरवाले ही दंगाइयों की भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।
मियां मिट्ठू ने मंगलवार को कराची प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर यही बात फिर दोहराई। पूर्व सांसद ने कहा, “घोटकी हिंसा से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। हकीकत तो यह है कि मेरे बेटे व भतीजे ने भीड़ को समझाने की प्रयास की थी। ” घोटकी में 15 सितंबर को हिंदुओं के विरूद्ध हिंसा एक विद्यार्थी के यह कहने पर भड़की थी कि एक हिंदू शिक्षक ने मुहम्मद साहब का अपमान किया है।
हालांकि, विद्यार्थी ने बाद में बोला था कि शिक्षक ने उसे डांट दिया था जिसका बदला लेने के लिए उसने शिक्षक पर भगवान निंदा का आरोप मढ़ दिया। उसने शिक्षक से माफी मांगी थी। इस हिंसा में एक मंदिर पर हमला किया गया था व हिंदुओं की कुछ दुकानें लूट ली गई थीं। लेकिन, इलाके के मुस्लिम समाज के लोग इसके विरूद्ध आगे आए थे व उन्होंने 15-16 सितंबर की पूरी रात मंदिर में बिताकर उसकी सुरक्षा की थी।
भारचुंदी शरीफ दरगाह के पीर मियां मिट्ठू ने कहा, “कुछ तथाकथित सिंधी राष्ट्रवादी और सिविल सोसाइटी संगठन घोटकी हिंसा से मेरा नाम जोड़कर मुझे व मेरे परिवार को बदनाम करने की प्रयास कर रहे हैं। ” हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उसने बोला कि यह आरोप झूठा व आधारहीन है। लेकिन, साथ ही परोक्ष रूप से वह यह कह गया कि वह धर्म बदलाव में शामिल है।
उसने कहा, “सालों से सिंध व बलोचिस्तान से गैर मुस्लिम मेरे पास इस्लाम में शामिल होने के लिए आते हैं। मैं उन्हें कैसे रोक सकता हूं, कैसे वापस जाने के लिए कह सकता हूं?” उसने बोला कि हिंदू व मुस्लिम समुदाय के लोगों, मीडियाकर्मियों व सांसदों के एक समूह को घोटकी जाना चाहिए व वहां इस्लाम कबूल कर चुके लोगों से मिलकर हकीकत जानना चाहिए।