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जयंती विशेष: इंदिरा गांधी के इन 5 फैसलों ने बदल दी भारत की तस्वीर

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भारत की आयरन लेडी के तौर पर जानी जाती हैं। आज इनकी 102वीं जयंती है। देश में इंदिरा गांधी की अलग पहचान थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इन्हें दुर्गा कहा था। इंदरा गांधी अपने कार्यकाल के दौरन कभी भी कड़े फैसले लेने से पिछे नहीं हटती थीं। इसी कारण वे दुनिया के ताकतवर नेताओं में शुमार थीं। इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री कई महत्वपूर्ण और साहसिक फैसले लिए। उनके फैसले ने देश को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया।

बैंकों का राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 में हुआ और उनका पूरा बचपन देश की राजनीतिक माहौल में बीता था। जिससे उनकी राजनीति की समझ विकसित हुई और उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए। जिसमें एक था बैंकों का राष्ट्रीयकरण।

देश में 19 जुलाई 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इस समय बैंको के पास देश का 70 प्रतिशत पैसा था, राष्ट्रीयकरण करने के बाद 40 प्रतिशत पैसा प्राइमरी सेक्टर में निवेश करने के लिए सुरक्षित किया गया। बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पहले अधिकतर बैंको पर औद्योगिक घरानों का कब्जा था। इंदिरा गांधी का मानना था कि राष्ट्रीयकरण से देश भर में बैंक क्रेडिट दिया जा सकेगा।

इस प्रस्ताव को जब सबके सामने रखा गया उस समय मोररजी देसाई वित्त मंत्री थे और उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद 19 जुलाई 1969 को एक अध्यदेश के जरिए 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, और 1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।

बांग्लादेश का उदय
देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान बना जो कि बंगाल से कटा था यहां लोग पाकिस्तान की सेना के शासन में घुट रहे थे। इसी दौरान वहां शेख मुजीबुर रहमान स्वायत्ता के लिए संघर्ष कर रहे थे। पाकिस्तानी सेना की तानाशाही के कारण पूर्वी पाकिस्तन (बांग्लादेश) में गृह युद्ध शुरू हो गया।

वहां से भागे करीब 10 लाख लोगों ने भारत के असम और अन्य राज्यों में शरण लिया। जिसके बाद इंदिरागांधी को बांग्लादेशियों के अधिकारों की रक्षा के लिए इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। जिसके परिणाम में 1971 का युद्ध हुआ जिसमें करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया और लंबे समय के संघर्ष के बाद एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ।

न्यूक्यिलर टेस्ट और राजाओं के राजभत्ता को खत्म करना
दुनिया भर के ताकतवर देश जहां भारत को धमकाने में जुटे थे उस समय इंदिरा गांधी ने न्यूक्यिलर टेस्ट कर दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया। इस टेस्ट ने भारत को परमाणु ताकत के रूप में स्थापित किया था।

आजादी के बाद भी देश में लगभग 500 से अधिक छोटी बड़ी रियायते थी। जिसमें हर राजा को अपनी रियासत का भारत में एकीकरण करने के एवज में भारत सरकार द्वारा हर साल राजभत्ता (प्रीवी पर्स) बांध दी गई थी। जिसे इंदिरा गांधी ने खत्म करने का फैसला किया था। और सविधान संशोधन कर इसे बंद करवा दिया गया था।

अपातकाल के लिए इंदिरा का विरोध
इंदिरा गांधी ने कई दमदार फैसले लिए जिसके लिए देश की जनता उन्हें लौह महिला कहने लगी, वहीं देश में अपातकाल के फैसले को हर तरफ से विराध का सामना करना पड़ा। जिसके कारण केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार आ गई लेकिन कुछ समय में ही वे सरकार गिरी और देश की जनता ने एक बार फिर इंदिरा गांधी को अपना प्रधानमंत्री चुना।

ऑपरेशन ब्लू स्टार
इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में खालिस्तान की उठती मांग को रोकने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार का फैसला लिया। उस समय पंजाब खालिस्तान समर्थकों की जकड़ में जाता दिख रहा था। जिसको देखते हुए स्वर्ण मंदिर में सेना को घुस कर खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी। इसमें आतंकी सरगना जरनैल सिंह भिंडरावाला की मौत हो गई। हालांकि इस मुसिबत से पंजाब को राहत मिली लेकिन इंदिरा गांधी के लिए मुसीबत बढ़ गई।

स्वर्ण मंदिर में सेना भेजने के फैसले से सिख नराज हो गए। ओडिशा में दिए गए भाषण में जिस तरह उन्होंने शब्द कहे उससे इस बात का अंदाजा हो गया था कि उनकी हत्या हो सकती है। उनको अपने सुरक्षाकर्मी बदलने तक की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने मानने से इनकार कर दिया था

इंदिरा का आखरी दिन
31 अक्टूबर 1984 का दिन इंदिरा गांधी के लिए दुनिया में आखरी दिन थी। उनके ही अवास पर उनके सुरक्षाकर्मी ने उनके शरीर को गोलियों छलनी कर दिया। जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया, जहा डॉक्टरों ने अपनी पूरी जान लगा दी लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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