नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आधार कानून को Constitutional सैंवाधानिक रूप जायज से जायज बताया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने आधार योजना की कानूनी मान्यता को बरकरार रखा है। सर्वोच्च अदालत कहना है कि आधार से आम नागरिक को पहचान मिली है। इससे गरीबों को उनका हक मिला है। आधार एकदम सुरक्षित है।
इसकी डुप्लिकेसी का सवाल नहीं उठता है। आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। हालांकि आधार की जानकारी देना निजता का उल्लंघन है या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आना बाकी है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों की बहस सुनकर 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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आधार की Constitutional वैधता पर
आधार की Constitutional संवैधानिक वैधता पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि, “आधार कमजोर वर्ग को ताकत देता है और उन्हें एक पहचान देता है। आधार पहचान से जुड़े बाकी दस्तावेजों से अलग है। इसलिए इसका डुप्लीकेट नहीं बन सकता है।“ वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “आधार नामांकन के लिए यूआईडीएआई ने देश की जनता की बायोमेट्रिक और डेमोग्राफी से जुड़ी जानकारी बहुत कम ली है। किसी भी शख्स को दिया गया, आधार नंबर यूनिक है, जो किसी और के पास नहीं जा सकता है।“
सेवानिवृत्त जज पुत्तासामी और कई अन्य लोगों ने आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी थी। याचिकाओं में विशेष तौर पर आधार के लिए एकत्र किए जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है। आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट में निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था।