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चुनावी मैदान में ताल ठोंक के अखिलेश तैयार; अपर्णा बोलीं-बीजेपी से जुड़ना सियासी फैसला, परिवार से कोई मतलब नहीं

        अजय कुमार

लखनऊ। आज बुधवार को दो प्रमुख ख़बरें ऐसी सामने आ रही हैं, जिनसे समाजवादी पार्टी की सियासत पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। पहली ख़बर तो यह है कि योगी आदित्यनाथ को टक्कर देने के लिए, सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी विधान सभा चुनाव में ताल ठोंक कर मैदान में नजर आएंगे। वहीं दूसरी ख़बर यह है कि पूर्व सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। बात करें अगर योगी कि तो सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ेगें ही लेकिन, अखिलेश अभी तय नहीं कर पाए हैं कि वह कहां से मैदान में उतरेंगे।

इटावा विधानसभा सीट से लड़ने की संभावना, 2012 में सीएम बनते ही बने थे एमएलसी

फिलहाल अखिलेश यादव अभी आजमगढ़ यूपी से सांसद हैं। 2012 में जब अखिलेश ने सीएम की कुर्सी संभाली थी, तब उन्होंने विधान सभा चुनाव लड़ने की बजाए विधान परिषद से एमएलसी बने थे। संभावना यही जताई जा रही है कि वह सपा के दबदबे वाले जिला इटावा या उसके आसपास की किसी विधान सभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला ले सकते हैं। अखिलेश अगर विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें लोकसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। पिछले दिनों उन्होंने कहा भी था कि पार्टी जहां से कहेगी वहां से वह चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं।

बीजेपी लगातार बना रही थी दबाव, चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं अखिलेश में!!

पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद, बीजेपी लगाातार अखिलेश यादव और उनकी पार्टी पर दबाव बना रहे थे कि वह चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं। इसी के बाद अखिलेश को चुनाव लड़ने का फैसला लेना पड़ा। अखिलेश यादव ने इससे पूर्व एक टीवी न्यूज चौनल से बातचीत के दौरान कहा था कि मैंने कई चुनाव लड़े हैं। आगे भी लडूंगा। अगर हमारे लोग और समाजवादी पार्टी चाहेगी तो इस बार भी हम चुनाव लड़ेंगे।कहां से चुनाव लड़ेंगे? इस पर अखिलेश ने कहा,यह पार्टी तय करेगी कि मैं कहां से चुनाव लड़ूंगा।

“मेरा फैसला सियासी, परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं”-अपर्णा

बहरहाल, अब अगर अपर्णा यादव के बीजेपी से जुड़ने की बात करें, तो अर्पणा ने बीजेपी की सदसयता ग्रहण करने के बाद कहा है कि वह हमेशा ही पीएम मोदी से प्रभावित रहती थी। उनके इस फैसले से परिवार का कोई लेना देना नहीं है। परिवार से सहमति मिलने के बाद ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइंन की है। हालाँकि, चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने गोलमोल जबाव दिया है।

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