लखनऊ। समाजवादी पार्टी सांसद आजम खां पर लगातार हो रहे मुकदमों पर लंबे समय तक चुप्पी साधे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रामपुर दौरे को उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। न सिर्फ सियासी गलियारों बल्कि प्रशासनिक हलके में भी यह चर्चा-ए-आम है कि अखिलेश आजम के बहाने रामपुर में उप चुनाव की सियासी बिसात बिछाने आ रहे हैं।
सपा को आजम खां के
अपने लंबे सियासी सफर के कारण आजम खां रामपुर में काफी मजबूत माने जाते हैं। जिले में सबसे बड़ा सियासी घराना उन्हीं का है। खुद सांसद हैं, पत्नी राज्यसभा सदस्य और बेटा विधायक है। यही वजह है कि रामपुर में सपा को आजम खां के तौर पर देखा जाता है। कई बार आजम खां ने इसका अहसास भी कराया है। वह चाहे विधानसभा चुनाव रहे हों या लोकसभा चुनाव, आजम खां ने अपनी ताकत का अहसास कराया है। विस चुनाव में प्रदेश में प्रचंड बहुमत पाने वाली भाजपा रामपुर में पांच में से महज दो सीटें ही जीत सकी। जबकि तीन सीटों पर खुद आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला और उनके करीबी नसीर अहमद जीते। इसी तरह लोस चुनाव में भी रामपुर, संभल, मुरादाबाद की सीटें सपा के खाते में गईं।
बीते करीब डेढ़ साल से आजम खां की घेराबंदी चल रही है। उनके खिलाफ राजस्व बोर्ड में जमीनों के वाद दायर कराए गए, हाईकोर्ट में केस चल रहे हैं। लोस चुनाव के बाद एकाएक शिकंजा कसता चला गया। न सिर्फ आजम बल्कि, उनकी पत्नी, बेटों और समर्थकों तक पर मुकदमे दर्ज हुए। कई मामलों में पुलिस चार्जशीट भी लगा चुकी है। लेकिन, सपा ने लंबे समय तक आजम प्रकरण से खुद को अलग रखा।
उप चुनाव करीब आते ही सपा आजम खां का दर्द बांटने में जुट गई है। पिछले दिनों सपा ने प्रतिनिधि मंडल रामपुर भेजा, एक अगस्त को बरेली-मुरादाबाद मंडल के सपाइयों ने गिरफ्तारी दीं, मुलायम सिंह यादव ने आजम की हिमायत में बयान दिया और अब अखिलेश यादव खुद रामपुर आ रहे हैं। यही कारण है कि तेजी से बदलते घटनाक्रम को उप चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।