आईडीए राउंड को लेकर स्वास्थ्य कर्मी हो रहे प्रशिक्षित
स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने ही खिलाएंगे फाइलेरियारोधी दवा
बाँदा। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आगामी 10 फ़रवरी से शुरू हो रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए) को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का ब्लॉकवार ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर (डीए) प्रशिक्षण चल रहा है। जिससे वह अपने कार्य क्षेत्र में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में बेहतर भूमिका निभा सकें। अभियान की सफलता को लेकर सीएचसीवार आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों की टीमें बनाई गई हैं। यहीं टीमें 10 फ़रवरी से 28 फ़रवरी के मध्य घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी।
सीएमओ डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आगामी 10 फ़रवरी से आईडीए (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजाॅल) शुरू हो रहा है। इस दौरान एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगी। घर-घर जाकर दवा खिलाने का काम पूरे जिले में चलाया जाएगा। जिसके लिए कुल 1814 टीमें बनाई गई हैं। यह टीमें जिले के 20.86 लाख लोगों को अपने सामने फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का काम करेंगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, इससे बचने का उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा सेवन करना है, जिससे कि समय रहते फाइलेरिया के परजीवी पर नियंत्रण पाया जा सके। इसी क्रम में सीएचसी स्तर पर इस अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाने का काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि वह घर-घर जाकर किस तरह से सभी लोगों को अपने सामने ही दवा खिलाएं।
किसे और कितनी खानी है दवा —
सीएमओ ने बताया कि आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती, एक माह के बच्चे वाली प्रसूता और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी।
साइड इफेक्ट्स से न घबराएं —
कार्यक्रम के नोडल अफसर और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश पहाड़ी ने बताया कि दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
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फाइलेरिया के लक्षण —
जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार ने बताया कि फाइलेरि या मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि यह लाइलाज बीमारी है, एक बार बीमारी हो जाने पर जिंदगी भर इसके साथ ही जीना पड़ता है। इसलिए फाइलेरिया के रोगी को हमें मानसिक सांत्वना देने की जरूरत है।
ऐसे करें बचाव —
फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार होता है। इसलिए लक्षण नजर आते ही सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।
रिपोर्ट- शिव प्रताप सिंह सेंगर