जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 की वापसी और राज्य के पुनर्गठन संबंधी भारत के ऐतिहासिक फैसले का पाकिस्तान ने कड़ा विरोध करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की बात कही है। विदेश मंत्रालय इस खतरे को समझ रहा है यही वजह है कि उसने इस बारे में राज्यसभा में विधेयक पेश करने के कुछ ही घंटे बाद नई दिल्ली में विदेशी राजनयिकों को इसके बारे में जानकारी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी। भारत यह भी समझ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अभी यह लड़ाई लंबी चलेगी। इसको देखते हुए भी जबरदस्त तैयारी है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर दूसरे मंचों पर पाकिस्तान की हर साजिश का कूटनीतिक तरीके से जवाब देने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को दोपहर बाद से संयुक्त राष्ट्र स्थाई परिषद के पांच सदस्य देशों के अलावा अन्य दूसरे देशों को अनुच्छेद-370 के संबंध में जानकारी देने का सिलसिला शुरू किया गया है। कई राजनयिकों ने अपने स्तर पर सरकार के इस फैसले के बारे में जानकारी मांगी थी और उन्हें विदेश मंत्रालय की तरफ से उपलब्ध कराई गई है। भारत ने इन सभी देशों को स्पष्ट तौर पर बताया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और ये कदम समूचे जम्मू व कश्मीर के समग्र विकास, सामाजिक न्याय व गवर्नेस को बेहतर बनाने के लिए उठाये गये हैं। भारत ने दक्षिणी अमेरिकी देशों से लेकर सभी प्रमुख अफ्रीकी देशों और आसियान समूह के सदस्य देशों को भी अपने फैसले के बारे में जानकारी दी है।
सनद रहे कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू व कश्मीर संबंधी भारत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि पाकिस्तान इसका हर मुमकिन तरीके से विरोध करेगा। कुरैशी ने कहा है कि उनका देश भारत सरकार के इस फैसले को संयुक्त राष्ट्र, इस्लामिक सहयोग संगठन, मित्र देशों और मानवाधिकार संगठनों के समक्ष उठाएगा और उनसे इस मुद्दे पर चुप नहीं रहने का अनुरोध करेगा। उन्होंने कश्मीर मसले को पहले से भी गंभीर मुद्दा करार दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन सूत्रों ने पाकिस्तान विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयानों को बेवजह में दूसरे देशों के मामलों में टांग अड़ाने वाला बताया है।
सूत्रों के मुताबिक भारत कूटनीतिक स्तर पर पूरा सक्षम है कि पाकिस्तान की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को उठाने का जवाब दे सके। साथ ही भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून या नियम का उल्लंघन नहीं किया है जिससे उसे डरने की कोई जरूरत हो। वैसे भी भारत ने ना तो अंतरराष्ट्रीय सीमा में कोई फेरबदल की है और ना ही नियंत्रण रेखा की मौजूदा स्थिति में बदलाव किया है और ना ही लद्दाख के साथ जुड़ी सीमा का उल्लंघन किया है। इसलिए किसी भी दूसरे देश को परेशान होने की जरुरत नहीं है।