आज के समय में व्यक्ति कई बीमारियों से घिरा हुआ हैं जिनमें से एक हैं अस्थमा जो कि फेफड़ों और श्वास से जुड़ी हुई है। अस्थमा की गंभीर बिमारी जान तक ले सकती हैं। अस्थ की बिमारी में श्वास नालियों में सूजन होने लगती हैं जिसकी वजह से फेफड़ों में हवा अच्छे से नहीं पहुंच पाती हैं। हांलाकि अस्थमा को पूरी तरह से ठीक तो नहीं किया जा सकता हैं। लेकिन इस पर नियंत्रण जरूर पाया जा सकता हैं। आज हम आपको अस्थमा से जुड़ी पूरी जानकारी इस लेख में देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
धूल-मिट्टी के कण, धुआं, सांस की परेशानी और भावनात्मक रूप से आहत होने पर अस्थमा के अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा घास, लकड़ी आदि के पराग कण, गैस, पेंट, स्मोकिंग और रसायनिक चीज़ों की गंध से अस्थमा का अटैक पड़ सकता है।
मौसम में बदलाव की वजह से होने वाले वायरल इंफेक्शन की वजह से भी अस्थमा बढ़ जाता है। परफ्यूम, हेयर स्प्रे आदि चीज़ों की गंध से भी अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ जाता है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से भी अस्थमा बढ़ने की संभावना रहती हैं । कुछ खान-पान की चीज़ों से भी अस्थमा के बढ़ने के चांसेज रहते हैं।
लगातार छींक आना, सांस फूलना, छाती में खिंचाव महसूस होना अस्थमा के लक्षण होते हैं। ब्रेड, पास्ता, केक और पेस्ट्री के ज्यादा सेवन से अस्थमा बढ़ सकता है। इसके अलावा, मूंगफली, सोया, मछली और अंडे, दूध और दूध से बने उत्पाद से भी अस्थमा के बढ़ने की संभावना रहती है। अस्थमा से बचने के लिए खाने में ताजे फल, सब्ज़ियां, दलिया, ब्राउन राइस और साबुत अनाज शामिल करें। चुकुंदर, ठंडा पेय पदार्थ, डेरी उत्पाद, रेड मीट, सफेद आटा आदि को न खाएं। योगा, एक्यूपंक्चर और व्यायाम अस्थमा को नियंत्रित करने में मदद करता है।