कोच की साफ-सफाई में प्रतिदिन हो सकेगी पानी और मैनपावर की अभूतपूर्व बचत
लखनऊ। स्वच्छता पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की प्राथमिकताओं में से एक है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रेलवे स्टेशनों, प्लेटफार्मों, ट्रेनों की बेहतर साफ-सफाई के लिए अनेक स्तरों पर कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है।
लखनऊ मण्डल के गोमतीनगर कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लान्ट लगाया गया है तथा ट्रेन संख्या 15077/78 के रेक की बाहरी धुलाई आज से इस अत्याधुनिक प्रणाली से प्रारम्भ कर दी गयी है।
इसी क्रम में पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न कोचिंग डिपो में ट्रेन के रेकों की साफ-सफाई के स्तर में उन्नयन के लिए आधुनिक ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लान्ट का प्रावधान किया जा रहा है। ऑटोमेटिक कोचिंग वाशिंग प्लान्ट वाशिंग पिट के प्रवेश पर लगाया गया है। वाशिंग पिट पर रेक प्लेसमेंट के दौरान मैकेनाइज्ड तरीके से कोच के आउटर पैनल की धुलाई की जा रही है।
उच्च स्तरीय धुलाई के लिए तीन चरणों में केमिकल और पानी का जेट स्प्रे कर धुलाई का काम किया जाता है। जिसके फलस्वरूप कोचों की साफ-सफाई में गुणात्मक सुधार आया है। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लान्ट के द्वारा रेक की धुलाई में पानी की लगभग 80 प्रतिशत बचत हो रही है। मैनुअल तरीके से धुलाई में पहले प्रति कोच लगभग 300 लीटर पानी का उपयोग होता था जबकि इस आधुनिक प्लांट के लग जाने से पानी का इस्तेमाल घटकर मात्र 60 लीटर प्रति कोच हो गया है।
फलस्वरूप प्रति दिन काफी पानी की बचत हो रही है, जो स्वयं में एक उपलब्धि है। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लान्ट के लग जाने से मैनपावर (मानव संसाधन) की भी बचत हो रही है। मैनुअल सिस्टम में प्रति रेक की धुलाई हेतु तीन कर्मचारियों की आवश्यकता होती थी। इस अत्याधुनिक प्लांट के लग जाने से मैनपावर में काफी कमी आई है तथा कोच क्लीनिंग का कार्य भी कम समय में सम्पादित हो जाता है।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी