सनातन संस्कृति को व्रतों, त्यौहारों और पर्वों की संस्कृति कहा जाता है। हर तिथि देवी-देवताओं को समर्पित है और इन तिथियों के अनुसार देवी-देवताओं को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए पर्वों का आयोजन किया जाता है। उनकी उपासना करते हुए हर्षोल्लास के साथ त्यौहारों को मनाया जाता है। कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु के साथ महादेव की पूजा का विधान है। इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 10 नवंबर रविवार को है। बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा मध्य रात्री यानी निशिथ काल में की जाती है। मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी को श्रीहरी और महादेव की उपासना करने से पापों का नाश होता है और पुण्य फल का प्राप्ति होती है।
बैकुंठ चतुर्दशी की पूजाविधि-
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और देवादिदेव महादेव का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। श्रीहरी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। पूजन में चंदन, चंदन का इत्र, श्वेत कमल, केसर गाय का दूध, दही, मिश्री, शहद आदि से अभिषेक करना चाहिए। अबीर, गुलाल, कुमकुम सुगंधित फूल, सूखे मेवे, ऋतुफल का भोग लगाएं। श्रीमदभागवतगीता, श्रीसुक्त और विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। साथ ही विष्णुजी के बीजमंत्र का 108 बार जाप करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ पुण्यों में वृद्धि होती है और सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है। पूजन में मखाने की खीर का भोग भी लगाना चाहिए।
भूतभावन महाकाल की आराधना बैकुंठ चतुर्दशी पर करने की भी विशेष महत्व है। शिवलिंग का गाय के दूध, दही आदि से अभिषेक करने के बाद महादेव को फूल, बिल्वपत्र, आंकड़ा, धतूरा, भांग, श्वेत मिठाई, ऋतुफल आदि समर्पित करें और मखाने की खीर बनाकर भोग लगाएं। रुद्राष्टक, शिवमहिम्नस्त्रोत, पंचाक्षरी मंत्र आदि से उपासना करें। इस दिन निशिथ काल में पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। ‘ओम ह्रीं ओम हरिणाक्षाय नम: शिवाय’ का जाप करने से हरी और हर यानी भगवान विष्णु और महादेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है। बैकुंठ चतुर्दशी को हरी-हर के साथ सप्तऋषि की पूजा करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितृों का किसी पवित्र नदी या सरोवर के किनारे तर्पण करने से पितृों की कृपा प्राप्त होती है।
बैकुंठ चतुर्दशी 2019 तिथि– 10 नवंबर 2019, रविवार
बैकुंठ चतुर्दशी 2019 शुभ मुहूर्त-
बैकुण्ठ चतुर्दशी निशिथ काल– रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
बैकुण्ठ चतुर्दशी का प्रारंभ- 10 नवंबर को शाम 4 बजकर 33 मिनट से
बैकुण्ठ चतुर्दशी का समापन- 11 नवंबर 2019 को शाम 6 बजकर 2 मिनट तक