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CIC का बड़ा फैसला, इलेक्टोरल बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक करे सरकार

केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि इलेक्टोरल बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक करने होंगे। सीआईसी ने सरकार को यह निर्देश देते हुए कहा है कि सरकार उन दानदाताओं के नाम सार्वजनिक करे जिन्होंने अपील की थी कि उनके नाम जाहिर नहीं किए जाएं।

साल 2018 में मोदी सरकार ने इस दावे के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा। दरअसल इसके तहत कोई भी डोनर अपनी पहचान छिपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बांड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता है। दरअसल इलेक्टोरल बांड से दानकर्ताओं की पहचान छिप जाती है और उसे टैक्स से भी छूट मिलती है, लेकिन इस बांड को विवादित करार दिया गया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर एक्सपट्र्स का मानना था कि इससे चुनावी फंडिंग में अपारदर्शिता बढ़ेगी।  उल्लेखनीय है कि इनफॉरमेशन कमिश्नर सुरेश चंद्रा ने यह फैसला 2 साल पुराने एक आरटीआई आवेदन को लेकर सुनाया है। यह आवेदन वेंकटेश नायक ने साल 2017 में इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग को देते हुए सियासी पार्टियों को गुप्त चंदा देने वाले लोगों के बारे में जानकारी मांगी थी।

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