यूपी विधान परिषद में बजट पर चर्चा के दौरान शनिवार को सत्तारूढ़ दल भाजपा ने पिछड़ी जाति से आने वाले अपने मंत्रियों को आगे कर के विपक्ष को खास संदेश देने का प्रयास किया। जातिगत जनगणना के लिए दबाव बना रहे विपक्ष की धार कुंद करने के लिए यह दांव आजमाया गया।
इससे पहले सपा के लाल बिहारी यादव ने अपने एक घंटे के भाषण में बजट को पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, किसानों और युवाओं का विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि बजट में पिछड़ा वर्ग की अनदेखी की गई है। बाद में जयपाल सिंह व्यस्त ने अधिष्ठाता की जिम्मेदारी संभाली तो सपा के डॉ. मान सिंह ने बजट के बहाने सरकार को जमकर कोसा तो भाजपा के बाबूलाल तिवारी ने बजट की खूबियां गिनाते हुए बुंदेलखंड का खास ध्यान रखने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।
भोजनावकाश के बाद जब सदन की बैठक शुरू हुई तो नरेश चंद्र उत्तम अधिष्ठाता की कुर्सी पर थे। संयोग ही था कि सपा के लाल बिहारी यादव ने जब चर्चा की शुरुआत तो सत्ता पक्ष की तरफ आगे की कतार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कुमार कश्यप और कारागार एवं होमगार्ड्स राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति बैठे थे।
सदन में भाजपा के उपनेता विद्यासागर सोनकर पार्टी की इस रणनीतिक व्यूह रचना को ताकत दे रहे थे। यही वजह थी कि बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा की निर्मला पासवान और राम गोपाल उर्फ गोपाल अंजान ने विपक्षी हमलों का जवाब दिया। नरेन्द्र कश्यप ने भी बजट की विशेषताएं गिनाते हुए विपक्षी दलों के दावों को सिरे से खारिज किया।