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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…किसान आंदोलन विपक्षी दलों के हाथ का खिलौना बन गया

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

आज कई दिनों बाद सुबह मौसम साफ था। कोहरे का नामोनिशान नहीं था। हल्की धूप खिली थी। परंतु, ठंड में कोई कमी नहीं थी। चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर विराजमान थे। चबूतरे के पास अलाव के चारों तरफ कुर्सियां पड़ी थीं। चतुरी चाचा से मुंशीजी व कासिम चचा बतिया रहे थे।

चतुरी चाचा बोले- गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर दिल्ली में बड़ा उपद्रव किया। दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे तथाकथित किसानों ने तिरंगे के साथ एक मजहब विशेष का झंडा फहराया। हमारे राष्ट्रध्वज का लालकिले में घोर अपमान किया गया। चतुरी चाचा आज बड़े आक्रोशित थे। वह धारा प्रवाह बोल रहे थे। तभी पूरबय टोला से बड़के दद्दा व ककुवा की जोड़ी प्रपंच चबूतरे पर आ गई।

चाचा अपनी बात पूरे करते हुए बोले- किसान आंदोलन शुरू में ही कांग्रेस, सपा, आप, वामपंथियों सहित अन्य विपक्षी दलों के हाथ का खिलौना बन गया था। विपक्षी दल नरेन्द्र मोदी का विरोध करते-करते अक्सर राष्ट्र विरोध पर उतर आते हैं।

केंद्र सरकार ने किसान नेताओं से 11 बार वार्ता की। तीनों कृषि कानूनों में संशोधन करने की हामी ही नहीं भरी, बल्कि अगले डेढ़ साल तक नए कानूनों को निरस्त रखने की भी बात कही। इसके बावजूद किसान नेता अपनी हठधर्मिता पर कायम हैं।  किसान के वेश में घुसे उपद्रवियों ने लालकिले सहित अन्य स्थानों पर तोड़फोड़ की। पुलिस जनों को जान से मारने की कोशिश की गई। इन सब चीजों से अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत को शर्मसार होना पड़ा है।

मुंशी जी ने चतुरी चाचा की बात पर मोहर लगाते हुए कहा- लोकतंत्र में सरकार के कामकाज का विरोध करना। अपनी मांगों के लिए धरना-प्रदर्शन करना। सरकार पर दबाव बनाने के लिए रैली निकालना। अनशन और भूख हड़ताल करना। यह सबका अधिकार है। परन्तु, यह सब संविधान के दायरे में किया जाना चाहिए। इसमें हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी और अराजकता की कोई जगह नहीं है। यदि सरकार के विरोध अथवा अपनी माँगों को मनवाने के लिए कोई भी व्यक्ति या संगठन अराजकता करता है, तो उसके खिलाफ सरकार को कठोरतम कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। किसान आंदोलन अब अराजक हो चुका है। सरकार को चाहिए कि वह आंदोलनकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करे।

कासिम चचा ने हमेशा की तरह किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा- आप लोगों की सोच पर मुझे कुछ नहीं कहना है। लेकिन, इतना जरूर कहूँगा कि केंद्र सरकार को राजहठ छोड़कर तत्काल तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। जब किसान खुद ऐसे कानून नहीं चाहते, तो उन पर जबरन कृषि कानून क्यों लादा जा रहा है? किसान 67 दिनों से भीषण ठंड में सड़क पर बैठे हैं। सरकार चाहती तो यह आंदोलन जाने कब खत्म हो गया होता। मोदी सरकार अन्नदाताओं को परेशान कर रही है। किसानों का यह आक्रोश भाजपा पर भारी पड़ेगा।

इस पर ककुवा बोले- कासिम मास्टर तुम बड़ी-बड़ी बातें कय रहे हौ। का टीवी नाय द्याखत। ई तुमार किसान 26 जनवरी का दिल्ली मा जौनु कोहराम मचाईन। ऊह नाय देखेव का? आजव दिल्ली बॉर्डर पय किसनन केरे भेष मा तमाम दंगाई तलवार, कटार, भाला व बरक्षी लेहे बैठे हयँ। अब तौ हुवाँ केरी जनता खुदय आन्दोलनकारिन का भगाय रही हय। इसी बीच चंदू बिटिया लाई और तिल्ली के धूंधा (पिन्नी), गुनगुना नींबू पानी व गिलोय का काढ़ा लेकर आ गई।

जलपान के बाद बड़के दद्दा ने बतकही को आगे बढ़ाते हुए बताया- देश को बांटने और दहलाने वाली ताकतें बराबर सक्रिय हैं। विपक्षी दल इन ताकतों का गाहे-ब-गाहे समर्थन करते दिखते हैं। शुक्रवार को दिल्ली में इजराइल दूतावास के सामने आईईडी धमाका किया गया। जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर अभी तक विराम नहीं लगा है। इससे पूरा देश चिंतित है। शनिवार को कृतज्ञ राष्ट्र ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73वीं पुण्यतिथि को इस बार शहीद दिवस के रूप में मनाया। उधर, अगले बजट सत्र के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक की।
अंत में हमेशा की तरह चतुरी चाचा ने मुझसे कोरोना अपडेट देने को कहा।

मैंने सबको बताया कि भारत सहित विश्व के अनेक देशों में कोरोना वैक्सीन लगाने का कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है। लेकिन, करोड़ों लोगों को कोरोना का टीका उपलब्ध करवाना इतना आसान नहीं है। इसमें लम्बा वक्त लगेगा। तबतक हमें पूरी सावधानी बरतनी होगी। विश्व में अबतक 10 करोड़ 15 लाख 36 हजार से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। वहीं, दुनिया भर में 22 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में अबतक एक करोड़ 10 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना निगल चुका है। फिलहाल भारत में कोरोना इस वक्त थम सा गया है। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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