लखनऊ में पुलिस ने मानव तस्करी का एक मामला उजागर किया है। कानपुर में एक कारोबारी के घर से एक नाबालिग के बरामद होने के बाद यह सच्चाई सामने आई है। छानबीन में पता चला है कि लखनऊ के आलमबाग निवासी सुनील मलिक ने दो बच्चों को 60 हजार रुपये में खरीदा था। एक बच्चे को उसने कानपुर में अपने दामाद के पास भेज दिया, जबकि दूसरे को बंधक बनाकर उससे शौचालय साफ कराए जा रहे थे।
मुसलमानों के लिये आजम की चंद्रशेखर से करीबी और कांग्रेस-सपा से बढ़ती नाराजगी
कानपुर के गोविंद नगर थाना प्रभारी के मुताबिक मंगलवार रात गुरुग्राम से श्री भगवान नामक व्यक्ति ने कंट्रोल रूम को फोन कर बेटे को बचा लेने की गुहार लगाई। बताया कि कुछ लोगों ने बेटे को बंधक बना लिया है और उससे मारपीट कर रहे हैं। पुलिस ने कानपुर के गोविंद नगर निवासी फर्नीचर कारोबारी अंकित आनंद के घर छापा मारा। अंकित के घर से 12 साल का बालक मिला। जांच के दौरान बालक ने आपबीती बताई। इसके बाद आरोपी फर्नीचर कारोबारी को हिरासत में ले लिया गया।
पूछताछ में कारोबारी अंकित ने बताया कि आलमबाग निवासी उसके ससुर सुनील मलिक ने गुरुग्राम निवासी दलाल पप्पू यादव के जरिये बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के तरनियाघाट निवासी श्री भगवान महतो उर्फ रामू से 12 व 8 साल के बच्चों को 30-30 हजार रुपये में खरीदा था। आलमबाग से एक बच्चा उसकी पत्नी साक्षी घर के कामकाज के लिए कानपुर ले आई, जबकि दूसरा ससुर के घर पर है। पुलिस ने बच्चे को परिजनों को सौंपने के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रतिबंध
पुलिस को सामने देखते ही मासूम बिलख पड़ा। मासूम ने बताया कि मालकिन बहुत मारती हैं। पप्पू यादव ने पिता को तीन माह पहले पैसे कमाने का लालच देकर उसे और चचेरे भाई को आलमबाग लाकर छोड़ दिया था। आलमबाग और कानपुर में दोनों से शौचालय साफ कराने के साथ-साथ बच्चों की गंदगी साफ कराई जा रही थी। कानपुर पुलिस ने अंकित आनंद, साक्षी, सुनील मलिक और बच्चे को लाने वाले पप्पू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
BJP के खिलाफ 27 में फिर बदलेगा सियासी समीकरण