वारणसी। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (तृतीय) पुष्कर उपाध्याय की अदालत ने बालू गिराने के विवाद में चली के मामलें में प्रथम अग्रिम जमान प्रार्थनापत्र को खारिज कर दिया। वादी पक्ष के विद्वान अधिवक्ता नदीम खान व रजनीश सिंह ने दलील दी।
जाने क्या हैं मामला: भियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा अतुल कुमार सिंह ने थाना चौबेपुर में इस आशय की तहरीर प्रस्तुत किया कि, दिनांक 26 मई 2020 को समय सुबह 8:30 बजे वादी अतुल के पड़ोसी सुनील सिंह (बेकहल) व विकास सिंह वादी अतुल के दरवाजे स्थित ग्राम व पोस्ट कमौली चोलापुर, वाराणसी में घर के सामने बालू गिरा रहें थें। जिस पर वादी अतुल ने मना किया तो उपरोक्त लोग आग बबूला होकर मा – बहन की भद्दी भद्दी गालियां देतें हुए जान से मारने की नीयत से अपने भाई के लाइसेंसी बंदूक निकल कर सुनील सिंह बेकहल वादी अतुल कुमार सिंह के उपर फायर कर दिया। जिसको गांव के लोगों ने देखा तथा मारा पीटा। अभियुक्तगढ़ का तर्क है कि यह उनका प्रथम अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र है। अभियुक्तगण को झूठा वह रंजिशवश गलत तरीके से परेशान करनें की नीयत से इस केस में झूठा मुल्जिम बना दिया गया है।
वादी अतुल सिंह के पक्ष से अधिवक्ताओं का तर्क: प्रतिपक्षी की ओर से विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी नदीम खान व रजनीश सिंह की ओर से अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र का विरोध किया गया। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना एवं प्रपत्रों का अवलोकन किया। अधिवक्ताओं ने कहा कि फर्द बरामदगी के अवलोकन से विदित होता है कि घटनास्थल से एक अदर जिंदा कारतूस 12 बोर एक अदद छर्रा व कुछ टूटे हुए कांच के टुकड़े बरामद हुए हैं। जिससे प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि घटनास्थल पर गोली चलाई गई थी। एक्स-रे रिपोर्ट श्री शिव प्रसाद गुप्ता अस्पताल (कबीरचौरा) वाराणसी के अवलोकन से विदित होता है कि वादी मुकदमा अतुल कुमार सिंह के दाहिने हाथ की छोटी उंगुली के पोर में फैक्चर पाया गया।
विवेचक द्वारा विवेचना के दौरान धारा- 325 की बढ़ोतरी कर दिया गया है जो केस डायरी के पर्चा संख्या- आठ से स्पष्ट है। ऐसी स्थिति में स्पष्ट है कि अभियुक्तगण द्वारा वादी मुकदमा को गंभीर उपहित कारित की गई है। विवेचक द्वारा अग्रिम जमानत पर छोड़े जाने पर अभियुक्तगण द्वारा जमानत का दुरुपयोग करने तथा अभियोजन साक्ष्य को प्रभावित करने एवं वादी मुकदमा को डराये जाने संबंधित आख्या प्रस्तुत किया गया तथा यह कथन किया गया कि अभियुक्तगण द्वारा फायर किए जाने पर गोली वादी अतुल कुमार सिंह के सिर के ऊपर से जाकर उसके चचेरे भाई के मकान की खिड़की में लगी, जिसका निशान अब भी बना हुआ है। प्रस्तुत मामले में विवेचना प्रचलित है। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रार्थीगण /अभियुक्तगण को अग्रिम जमानत प्रदान किए जाने का आधार पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने वादी अतुल कुमार सिंह के विद्वान अधिवक्ता नदीम खान व रजनीश सिंह के कथन को सुना और अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र संख्या 1352/2020 को खारिज कर दिया।