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गर्भनिरोधक साधनों से मिलती है शारीरिक समस्या से निजात बच्चों में ‘अंतर’ रखने में कारगर है ‘अंतरा’

परिवार नियोजन के बेहतर उपाए हैं अस्थायी साधन
जनपद में चल रहा हैं दंपति सम्पर्क पखवाड़ा

औरैया। परिवार में खुशहाली लाने के साथ ही तमाम तरह की शारीरिक परेशानियों से निजात दिलाने में नए अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों की अहम भूमिका है। यही नहीं नए गर्भनिरोधक साधनों में महिलाओं की पहली पसंद बना त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अन्तरा जहां बच्चों के जन्म में अंतर रखने में बेहद कारगर व सुरक्षित है वहीं गर्भाशय, अंडाशय व स्तन के कैंसर से भी रक्षा करता है। योग्य दंपत्ति को परिवार नियोजन के साधनों की सामुदायिक स्तर पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए  यानि 27 जून से 10 जुलाई तक दंपति संपर्क पखवाड़ा मनाया जा रहा है।इस पखवाड़े के अंतर्गत एएनएम एवं आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर योग्य दंपत्ति को परिवार नियोजन के अस्थाई व स्थाई साधनों के प्रति जागरूक कर रहीं हैं । इस पखवाड़े की इस वर्ष की थीम है “परिवार नियोजन का अपनाओं उपाय -लिखो तरक्की का नया अध्याय”

परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ देव नारायण कटियार का कहना है कि बार-बार गर्भपात, अस्पताल के चक्कर लगाने, कमजोर होती सेहत जैसी दिक्कतों से निजात पाने और परिवार में खुशहाली लाने के लिए परिवार नियोजन के नए साधन अपनाने में ही सही समझदारी है। इसके लिए वर्तमान में दो नए अस्थायी गर्भनिरोधक साधन अंतरा इंजेक्शन व छाया गोली उपलब्ध हैं। दोनों साधन जहां एक ओर दो बच्चों के जन्म में अंतर रखने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं वहीं इनके इस्तेमाल से एनीमिया व कैंसर से भी बचाव होता है। उन्होंने बताया कि छाया गोली के सेवन से माहवारी सामान्य होती है तथा ज्यादा दिनों के अंतराल पर होती है। इससे रक्तस्राव कम होता है जो एनीमिक महिलाओं के लिए लाभकारी है। अंतरा में प्रोजेस्टेरोन हार्माेन्स होता है जो गर्भाशय, अंडाशय व स्तन के कैंसर से बचाव में सहायक है।

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के अनुसार जनपद में 9047 छाया गोली व 6133 अंतरा इंजेक्शन के डोज़ इस्तेमाल कर लोग परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं। यह दोनों साधन जिला चिकित्सालय सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।

चिकित्सक की सलाह पर अपनाएं गर्भनिरोधक – 100 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अस्मिता का कहना है कि महिला का शरीर हर महीने गर्भ के विकास के लिए तैयार होता है। इसके लिए एक अंडा निकलता है और गर्भाशय की अंदरूनी सतह मोटी व मुलायम हो जाती है एवं ज्यादा रक्त का संचार होता है। गर्भधारण न करने पर अंदरूनी सतह टूटकर माहवारी के रूप में शरीर से बाहर आ जाती है। यह प्रक्रिया हर माह दोहराई जाती है। अंतरा या छाया अपनाने से पहले चिकित्सक की राय जरूरी है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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