दो महीने में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की दूसरी रूस यात्रा सामयिक व उपयोगी रही। दोनों ही यात्राएं दो रूप में विशेष रही। पहला यह इस समय दुनिया कोरोना संकट के दौर में है,दूसरा यह कि इस समय भारत चीन सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है। रूस भी चीन का पड़ोसी है। भारत के साथ उसकी दशकों पुरानी दोस्ती है। इस रूप में रूस के रुख का भी महत्व बढ़ जाता है। राजनाथ सिंह की जून में हुई यात्रा के दौरान रूस का रुख भी साफ हो गया। उसने भारत के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। चीन के विरोध को उसने दरकिनार कर दिया। परिस्थियों को समझते हुए वह भारत को शीघ्र हथियार व अन्य रक्षा सामग्री देने को तैयार हुआ था।
राजनाथ सिंह ने तब वहां आयोजित विजय दिवस परेड में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इसका आयोजन द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की पचहत्तरवीं वर्षगांठ पर किया गया था। इसी के साथ राजनाथ सिंह ने रूस के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए करार को आगे बढ़ाया था। इस बार राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन एससीओ की एक बैठक में भी शामिल होने रूस गए। चीन भी इसका सदस्य है। राजनाथ ने इस अवसर का उपयोग किया। उनकी रूसी रक्षामंत्री के साथ बैठक हुई।
इसमें अत्याधुनिक एके टू हंड्रेड थ्री राइफल भारत में बनाने के लिये एक बड़े समझौते को अंतिम रूप दिया गया। यह एके फोटटीसेवन राइफल सर्वाधिक विकसित उत्पाद है। यह इंडियन स्मॉल ऑर्म्स सिस्टम राइफल की जगह लेगा। अनुमान के अनुसार भारतीय थल सेना को लगभग सात लाख से अधिक ऐसी राइफलों की आवश्यकता है। जिनमें से एक लाख का आयात किया जाएगा और शेष का विनिर्मिण भारत में किया जाएगा।
वैसे इस समझौते को अंतिम रूप दिये जाने की भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। रूसी समाचार एजेंसी की खबर के मुताबिक इन राइफलों को भारत में संयुक्त उद्यम भारत।रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के तहत बनाया जाएगा। इसकी स्थापना आयुध निर्माणी बोर्डऔर कलाशनीकोव कंसर्न तथा रोसोबोरेनेक्सपोर्ट के बीच हुई है। भारत को एस फोरहर्ड्रेड सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की अगले वर्ष के अंत तक मिलनी है।