
चारों तरफ हरियाली से घिरा हुआ प्रकृति की अनुपम सुषमा से आच्छादित रायबरेली (Raebareli) जिले की स्थापना अंग्रेजों के द्वारा सन 1858 ईस्वी में हुई थी। भर (Bhar) के द्वारा स्थापना किए जाने के कारण इसका नाम भरौली (Bharouli) रखा गया था जो परिवर्तित होकर बरेली हुआ। इस शहर के स्वामी राय (Rai) लोग थे इसलिए इसमें राय उपसर्ग जोड़कर जिले का नाम रायबरेली रखा गया। पूर्व प्रधानमंत्री लेडी आयरन के नाम से जाने जाने वाली स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांँधी (Indira Gandhi) से इस जिले को बहुत सारी सौगातें मिली है। इस जिले का क्षेत्रफल 4043 वर्ग किलोमीटर है।
रायबरेली जिला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। बैसवारा ताल्लुक के राजा राणा बेनी माधव सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाई थी। उन्होंने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए और जिले के महानायक कहलाए। रायबरेली जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कमी नहीं थी। इसी श्रेणी में महान स्वतंत्रता सेनानी गुफ्तार सिंह की अध्यक्षता में थाने पर तिरंगा फहराने का निर्णय लिया गया। क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। जिले में जगह-जगह भारत माता से प्रेम करने वाले लोगों की कमी नहीं थी। यहांँ पर अनेकों गोली कांड हुए हैं, जिसमें जिले से लगा हुआ शहीद स्मारक मुंशीगंज साक्षात प्रमाण के रूप में शहादत को दर्शाता हुआ रणबाँकुरों के पौरुष, साहस, संयम को तरोताजा करता हुआ जिले की गरिमा को बढ़ा रहा है।
सन 1921 ई0 के आंदोलन में क्रांतिकारियों के आह्वान पर अनगिनत किसानों ने सई नदी के तट पर प्रदर्शन किया, ब्रिटिश हुकूमत का फरमान न मानने पर अंग्रेजों ने सभी किसानों को गोलियों से छलनी कर दिया,जिससे सई नदी का का रंग उनके रक्त से लाल हो गया। इस घटना को दूसरा ज़लियावाला बाग नरसंहार कहा जाता है। इसी क्रम में करहिया बाजार ,सरेनी गोलीकांड भी हुआ जहांँ पर शहीदों की याद में विशाल शहीद स्मारक बना हुआ है जो हम सभी के लिए वंदनीय है। वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राणा बेनी माधव की जयंती पर रायबरेली आए थे। उन्होंने कहा कि रायबरेली के इतिहास को आम लोगों के सामने लाने की जरूरत है। इसके लिए सई नदी के तट पर एक म्यूजियम बनाने की योजना बनाई गई है।
इस जिले में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, मलिक मुहम्मद जायसी, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, बेनी बंदी, सुखदेव मिश्र, रमई कका जैसे महान साहित्यकार कवियों एवं गजलकार नूह नारवी, साहिर देहल्वी, महमूद रायबरेलवी, मुनव्वर राणा, सूफी मुल्लादाउद जैसे शायरों का जन्म हुआ है।
यहाँ पर अनेको दर्शनीय स्थल हैं, जिसमें भवरेश्वर मंदिर, संकटा देवी मंदिर, जगमोहनेश्वर मंदिर, मनसा देवी, अखिलेश्वरी देवी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर, बाबा बाल्हेश्वर धाम आदि पौराणिक आस्था के केंद्र हैं। यहांँ पर सई नदी और शारदा नहर को आपस में काटता हुआ बेहटा पुल लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इंदिरा उद्यान, इंदिरा गांँधी स्मारक वनस्पति उद्यान, शहीद स्मारक मुंशीगंज, समसपुर पक्षी अभ्यारणण्य, महेश विलास पैलेस, अरखा कोठी आदि जिले के आकर्षण केंद्र हैं।
रायबरेली जिला व्यापारिक दृष्टिकोण में भी बहुत आगे है। यहाँ पर नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज, आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना मुख्य रूप से हैं। अनेकों प्राचीन इमारतें, महल, सुंदर मस्जिदें भी जिले की शोभा को बढ़ा रही हैं। राजा डल के द्वारा गंगा नदी के तट पर स्थित डलमऊ ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है। रायबरेली जंक्शन में पांँच प्लेटफार्म है। ऊंँचाहार, बछरावांँ, लालगंज इसके निकटतम रेलवे स्टेशन है। जिले का फुरसतगंज हवाई अड्डा बहुत ही सुंदर व आकर्षक बना हुआ है।
राणा बेनी माधव चिकित्सालय, सीतापुर नेत्र चिकित्सालय और एम्स जैसे अस्पताल रोगियों के लिए सुविधा का केंद्र हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी रायबरेली अग्रणी है। जिले की तहसीलें सलोन, लालगंज, डलमऊ, ऊंँचाहार और महाराजगंज हैं। जिले में पांँच विधानसभा क्षेत्र हैं। लगभग 1733 गाँव हैं। पतित पावनी मांँ गंगा, सई नदी और शारदा नहर जिले में जल संसाधन के प्रधान स्रोत हैं। यहांँ की जलवायु गर्म उपोष्ण कटिबंधीय है, जिसमें दिसंबर से मध्य फरवरी तक बहुत ठंडी शुष्क सर्दी और अप्रैल से मध्य जून तक शुष्क गर्म ग्रीष्मकल होता है। वर्षा ऋतु मध्य जून से मध्य सितंबर तक होती है। यहांँ की मुख्य भाषा हिंदी व अवधी है। भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से छुटकारा दिलाने में इस जिले का विशेष योगदान रहा है।