मध्य प्रदेश में कम से कम 76 मुस्लिम बीजेपी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी छोड़ने वाले सभी कार्यकर्ता बीजेपी की इंदौर, देवास और खरगोन की अल्पसंख्यक शाखाओं से जुड़े थे।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाने वाले रजिक कुरैशी फरशीवाला ने बातचीत में बताया कि हम ही जानते हैं कि अपने समुदाय के लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए मनाना हमारे लिए कितना मुश्किल था, लेकिन अब भाजपा लगातार ऐसे मुद्दों पर बात कर रही है, जिससे हमारे लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
बता दें कि जिन मुस्लिम नेताओं ने भाजपा से नाता तोड़ा है, उनमें अधिकतर बूथ लेवल के पदाधिकारी हैं और सक्रिय कार्यकर्ता हैं। इन नेताओं ने भाजपा छोड़ने से पहले इंदौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर अपने फैसले की जानकारी दी। बता दें कि कुछ दिन पहले संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर ही मध्य प्रदेश के विभिन्न इलाकों से पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।
रजिक कुरैशी फरशीवाला ने बताया कि पदाधिकारियों ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मांग की थी कि नए कानून में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाए। रजिक ने कहा कि हम बाबरी मस्जिद-राम मंदिर केस और तीन तलाक मामले पर भी सरकार का समर्थन करते हैं, लेकिन अब कॉमन सिविल कोड की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हम कब तक इसी तरह हिंदू-मुस्लिम मुद्दों में पड़े रहेंगे? क्या हमारे बच्चों को कभी उच्च शिक्षा हासिल करने का मौका नहीं मिलेगा?
वहीं भाजपा इतनी बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं को इस्तीफा देने से चिंतिंत नहीं है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि जिन नेताओं ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया है, उनके पास कोई अहम जिम्मेदारी नहीं थी।