कहते हैं स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का निवास होता है। इसके लिए अपनी जीवनशैली में सुधार लाने के साथ-साथ अगर वास्तुशास्त्र के कुछ आधारभूत नियमों का भी ख्याल रखा जाए तो परिवार में स्वास्थ्यप्रद वातावरण बना रहेगा। आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें और जानें कौन से हैं वो वास्तु टिप्स-
-सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिडकियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इससे घर के विषाणु और नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर उत्तर और पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
-गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण स्थित बेडरूम में नहीं सोना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
-नवजात शिशुओं के लिए घर के पूर्व और पूर्वोत्तर के कमरे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
-हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं बनाना चाहिए। यह दिशा अग्नि से प्रभावित होती है और यहां रहने से ब्लडप्रेशर बढ सकता है।
-वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होने से नकारात्मक एनर्जी का प्रभाव बढ़ता है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वास और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।ध्यान रखें कि रात को सोते समय बेड के पास मोबाइल, स्टेवलाइजर, कंप्यूटर या टीवी आदि न हो। अन्यथा इनसे निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें मस्तिष्क, रक्त और हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकती हैं।
-भोजन करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहे तो सेहत अच्छी बनी रहती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
-बेडरूम में पुरानी और बेकार वस्तुओं का संग्रह न करें। इससे वातावरण में नकारात्मकता आती है। साथ ही, ऐसे चीजों से टायफॉयड और मलेरिया जैसी बीमारियों के वायरस भी जन्म लेते हैं।