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भारत में ही बनेंगी इलेक्ट्रिक कार की बैटरी, कैबिनेट ने दी मंजूरी, जानिए इसके बारे में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट में एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज के नेशनल प्रोग्राम को मंजूरी मिल गई है. एडवांस केमिस्ट्री सेल एनर्जी को केमिकल फॉर्म में स्टोर करता है. इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों में किया जाता है. अभी, भारत इसका बड़े पैमाने पर इंपोर्ट करता है. सरकार चाहती है कि इसके इंपोर्ट को कम किया जाए और घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ें. इस मिशन के तहत एनवायरमेंट फ्रेंडली विकल्पों के लिए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अगुवाई में एक इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी बनी थी. मिशन का लक्ष्य बड़े स्तर पर बैटरी मॉड्यूल और पैक असेंबली प्लांट लगाना है. साथ ही,  इंटीग्रेटेड सेल मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया जाएगा.

क्या है सरकार का फैसला

एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज के नेशनल प्रोग्राम को मंजूरी मिल गई है. इन बैटरी बनाने वाली कंपनियों को 18 हजार करोड़ रुपये का इनसेंटिव मिलेगा. यह रकम 5 साल में पीएलआई स्कीम के तहत कंपनियों को दी जाएगी. इंपोर्ट पर शिकंजा कसने के लिए सरकार सख्त कदम उठा सकती है.

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम की शुरुआत की है. इसके जरिए कंपनियों को भारत में अपनी यूनिट लगाने और एक्सपोर्ट करने पर विशेष रियायत के साथ-साथ वित्तीय सहायता भी दी जाती है.

कितना होगा इन्वेस्टमेंट

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस प्रोग्राम के तहत कुल 45 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट होगा. विदेशी और घरेलू दोनों इसमें शामिल है.

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कंपनियों को इंसेंटिव (18 हजार करोड़ रुपये) की रकम सेल्स के आधार पर, प्रोडक्ट कितने एनर्जी एफिशिएंट है, उनकी गुणवत्ता की अच्छी है. इस सभी चीजों को ध्यान में रखतें हुए रकम मिलेगी.

इस फैसले से किसे होगा फायदा

देश में बैटरी बनाने वाली कंपनी एक्साइड, अमराराज जैसी कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा. साथ ही, घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग से देश में नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे.

प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि भारत 20 हजार करोड़ रुपये बैटरी इंपोर्ट पर खर्च करता है. इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा मिलेगा. देश में बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स, 4-व्हीलर्स तेजी से बढ़ेंगे.

इसके अलावा हैवी व्हीकल्स जैसे ट्रक को भी इलेक्ट्रिक पर लाने की तैयारी चल रही है. मौजूदा समय में फास्ट चार्जिंग बैटरी की जरुरत है. इस फैसले से उसको भी बढ़ावा मिलेगा. रेलवे और शिपिंग में भी बैटरी के इस्तेमाल की तैयारी चल रही है.

इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ाने से होगा 2.94 लाख करोड़ का फायदा

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इलेक्ट्रिक वाहनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है तो इससे 2030 तक ऑयल इंपोर्ट बिल में 40 बिलियन डॉलर करीब 2.94 लाख करोड़ रुपये की कमी आएगी.

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