पूरी दुनिया एक तरह से कर्ज के बोझ में डूबी है. साल 2019 खत्म होने को है और कर्ज 255 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है. इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फायनेंस (IIF) ने शुक्रवार को ग्लोबल कर्ज के आंकड़े जारी किए. इसके मुताबिक, धरती पर मौजूद 7.7 अरब लोगों में से हर एक पर करीब 32,500 डॉलर (23,28,137 रुपये) का कर्ज है.
225 ट्रिलियन डॉलर. यह रकम पूरी दुनिया के एनुअल इकॉनमिक आउटपुट के तीन गुने से भी ज्यादा है. 2019 की पहली छमाही में ग्लोबल कर्ज करीब 7.5 ट्रिलियन डॉलर बढ़ा, तब से इसमें तेजी ही दिख रही है. इस बढ़ोतरी का 60 फीसदी सिर्फ अमेरिका और चीन से आया. सरकारी कर्ज भी इस साल बढ़कर 70 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
IIF ने अपनी Global Debt 2019 रिपोर्ट में कहा है, “कर्ज लेने की रफ्तार में कमी के संकेत मिले हैं. हमारा अनुमान है इस साल ग्लोबल कर्ज 255 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगा.”
पहली छमाही में सरकारी कर्ज करीब डेढ़ फीसदी की दर से बढ़ा. इसके बाद नॉन-फायनेंशियल कंपनीज का नंबर आता है, जिसमें 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. उभरते बाजारों में नॉन-फायनेंशियल कॉर्पोरेट कर्ज का आधे से ज्यादा हिस्सा सरकारी कंपनियों के खाते में है.
ग्लोबल बांड मार्केट भी 2009 के 87 ट्रिलियन डॉलर के मुकाबले अब 115 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. IIF का डेटा बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के आंकड़ों के अलावा अपने आंकड़ों पर भी आधारित है.