उत्तर भारत में आई फ्लू का खतरा इनदिनों तेजी से बढ़ गया है। लोग कंजेक्टिवाइटिस/आई फ्लू के संक्रमण की चपेट में आने लगे हैं और एक से दूसरे में यह इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। कंजेक्टिवाइटिस को पिंक आई, रेड आई या आई फ्लू भी कहते हैं। लोगों में डर है कि कंजेक्टिवाइटिस या आई फ्लू एक और कोविड महामारी का संकेत भी हो सकता है। इससे बचने में इम्यूनिटी तो बड़ी भूमिका निभाती ही है साथ ही कुछ सावधानियां बरतनी भी जरूरी होती हैं।
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यमुना में आई बाढ़ को भी इस इंफेक्शन की वजह बताया जा रहा है। पिंक आई दो तरह की होती है, पहली वो जिसका कारण वायरस होता है और दूसरी बैक्टीरिया की वजह से होने वाली। पिंक आई आमतौर पर नाक से आंखों तक फैलती है और पहले खांसी-छींक आना शुरू होती है और फिर सूक्ष्म कण आंखों में चले जाते हैं और इंफेक्शन की वजह बनते हैं।
लक्षण
- आखों से पानी निकलता है।
- आई फ्लू होने पर आंखें लाल दिखने लगती हैं।
- आंखों में दर्द होने लगता है।
- आंखों की ऊपरी परत धुंधली हो जाती है और उसपर चिपचिपा पदार्थ नजर आने लगता है।
बरतें ये सावधानियां
- आई फ्लू होने पर आंखों को बार-बार छूने से परहेज करना चाहिए।
- स्कूल जाने वाले बच्चों को अगर आई फ्लू हो गया है तो 3 से 5 दिन बच्चों को घर में ही रहने के लिए कहें।
- आंखों को बार-बार रगड़ने से परहेज करें। अपने पास साफ टिशू पेपर या रुमाल रखें और आंखों से निकले पानी को उससे साफ करें। आखें रगड़ने से बचें क्योंकि इससे दिक्कत बढ़ सकती है।
- आंखों में कंजेक्टिवाइटिस की दवा डालें और जब Eye Infection कम होने लगे तब ही घर से निकलें या लोगों से मिलें।
आई फ्लू कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। बहुत गंभीर स्थिति में यह 10 से 14 दिनों या फिर एक महीने तक रह सकता है। बैक्टीरियल पिंक आई इंफेक्शन है तो 10 दिन तक दिक्कत कर सकता है। - गर्म रुमाल को आंखों पर रखने से आराम मिल सकता है। आंखों में हो रही दिक्कत गर्म सिंकाई से कम होती है।
आंखों के आस-पास किसी भी तरह का मेकअप करने से बचें। खासकर ब्रश या आइशैडो वगैरह आंखों के पास ना लेकर आएं। - जिन लोगों को कंजेक्टिवाइटिस है उनके करीब आने से परहेज करें ताकि आपकी आंखें संक्रमित ना हों।
- इन्फेटेड लोगों की चीजें इस्तेमाल करने से परहेज करें।
- आंखों की सही तरह से सफाई करना जरूरी है। इसलिए आंखों को गंदे हाथों से बार-बार छूने से भी बचें। रोज नहाएं और आंखों को पानी से साफ करें।