लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने पावर कार्पोरेशन विभाग के पीएफ घोटाले में प्रदेश सरकार की संलिप्तता उजागर करते हुये कहा कि ऊर्जा मंत्री अपना दामन पाक साफ दिखाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यदि मान भी लिया जाय कि नई सरकार के गठन के पूर्व ही तत्कालीन एमडी द्वारा 21 करोड़ का आरटीजीएस कर दिया गया था, फिर भी उनका स्वयं और प्रदेश सरकार का दामन साफ नहीं हो सकता है।
सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि नई सरकार के गठन होते ही सभी विभागों के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री जी के समक्ष विभागीय प्रजेन्टेसन रखा था। क्या प्रेजेन्टेसन रखते समय यह छिपा लिया गया कि 21 करोड़ का भुगतान डीएचएफएल को करने में तत्कालीन एमडी ने सारे नियम ताक पर रख दिए थे अथवा जानबुझकर इस तथ्य की अनदेखी किसी स्वार्थवश की गई। भाजपा सरकार के गठन बाद एमडी के पूर्व सरकार द्वारा दिये गये सेवा विस्तार को तो खत्म कर दिया गया परन्तु डीएचएफएल को निरन्तर भुगतान होता रहा जिसको समाप्त करने अथवा पूर्व में किये गये भुगतान का लेखा-जोखा समझने तक रोक भी नहीं लगाई गई और न ही किसी प्रकार की जानकारी कर्मचारियों को दी गई जिनके खून-पसीने की कमाई की लूट भाजपा शासन में की गई।
रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि पाॅवर कार्पोरेशन के वर्तमान चेयरमैन को भी गिरफ्तार करने की आवश्यकता है क्योंकि वह ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं और उनकी संलिप्तता के बिना इतना बड़ा घोटाला सम्भव नहीं है। यदि उन्हें पद पर बनाये रखा जाता है तो सबूतों से छेड़छाड़ सम्भव है और निष्पक्ष जांच की खानापूरी ही होगी। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग करते हुये कहा कि तत्काल ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त करके उन्हें दण्डित करने के साथ-साथ विधुत कर्मचारियों की समस्त धनराषि की गारण्टी दे, ताकि उनका मानसिक संतुलन हो सके। सरकार द्वारा सम्पूर्ण घटना पर श्वेत पत्र भी जारी किया जाये ताकि तिथिवार विवरण की जानकारी हो सके।