एफबीआई ने पैन एएम की फ्लाइट को हाईजैक करने वाले चार अपहरणकर्ताओं की तस्वीर जो जारी की है। नीरजा की बहादुरी को पूरी दुनिया याद करती है। उनके साहस को देखते हुए पाकिस्तान ने भी उन्हें तमगा-ए-इंसानियत का नाम दिया। नीरजा भनोट फ्लाइट हाईजैक वाले मामले को लेकर विश्वविख्यात हो गई।
50 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम भी रखा
एफबीआई ने 1986 में हाईजैक हुई पैन एएम की फ्लाइट के अपहरणकर्ताओं की तस्वीर जारी की है। जिसमें आतंकी मुहम्मद हाफिज अल-तुर्की, जमाल सईद अब्दुल रहीम, मुहम्मद अब्दुल्ला खलील हुसैन और मुहम्मद अहमद अल-मुनवर हैं। एफबीआई ने ट्वीट कर जानकारी दी है। ये चारों आतंकी अबु निदल संगठन(एएनओ) के सदस्य बताए जाते हैं। ये एफबीआई की मोस्ट वांटेड आतंकवादी की सूची में शामिल है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने आरोपियों की सूचना देने वालों के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम भी रखा है।
फिलिस्तीनी साथियों की जेल से रिहाई था मकसद
जिस समय आतंकियों ने पैन एएम की फ्लाइट 73 को 5 सितंबर को हाईजैक किया था उस समय उसमें नीरजा भनोट सीनियर पर्सन के तौर पर मौजूद थी। विमान में उस समय करीब क्रू मेंबर समेंत 379 यात्री सवार थे। आतंकियों का मकसद विमान में मौजूद अमेरिकियों को जान से मारना था। इतना ही नहीं वह अपने फिलिस्तीनी साथियों की जेल से रिहाई चाहते थे। वे फ्लाइट को क्रैश करना चाहते थे। विमान के पायलट, सहायक पायलट और फ्लाइट इंजीनियर विमान छोड़कर भाग निकले थे लेकिन नीरजा भनोट ने इस जगह पर काफी साहस और बुद्धिमानी से काम किया।
पाकिस्तान ने भी नीरजा भनोट को किया सलाम
नीरजा ने अपने साथियों के साथ 41 अमेरिकी नागरिकों के पासपोर्ट को छिपा दिए थे। इसलिए यात्रियों को बचाने के प्रयास के दौरान आतंकवादियों ने नीरजा भनोट समेत करीब 20 लोगों की हत्या कर दी थी। 7 सितंबर 1963 को चंड़ीगढ़ में जन्मी नीरजा की बहादुरी को पाकिस्तान ने सलाम किया। पाकिस्तान ने नीरजा के इस कदम की वजह को देखते हुए उन्हें तमगा-ए-इंसानियत का नाम दिया। वहीं अमेरिका सरकार ने उनके लिए प्रशस्ति पत्र जारी किया। इस हादसे के समय नीरजा की उम्र महज 22 साल थी। वहीं भारत सरकार ने नीरजा को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा है।