कानपुर। बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुरू के 1000 दिन यानि गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म के दो साल (730 दिन) तक का समय महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान पोषण का खास ख्याल रखना बहुत ही जरूरी होता है। इस दौरान हुआ स्वास्थ्यगत नुकसान पूरे जीवन चक्र को प्रभावित कर सकता है। सही पोषण से संक्रमण, विकलांगता, बीमारियों व मृत्यु की संभावना को कम करके जीवन में विकास की नींव रखता है। मां और बच्चे को सही पोषण उपलब्ध कराएं तो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और बच्चा स्वस्थ जीवन जी सकेगा।
बच्चे के सही पोषण के बारे में जागरूकता के लिए ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बचपन व अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया जाता है। इसमें छह माह की आयु पूरी किए गए बच्चों का #अन्नप्राशन किया जाता है। उक्त माह में पड़ने वाले बच्चों का जन्म दिवस मनाया जाता है तथा माँ व परिवार वालों को पोषण, स्वच्छता एवं पुष्टाहार आदि के बारे में परामर्श दिया जाता है। जब बच्चा 6 माह अर्थात 180 दिन का हो जाता है तब #स्तनपान शिशु की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इस समय बच्चा तीव्रता से बढ़ता है और उसे अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नवजात शिशु को स्तनपान के साथ-साथ 6 माह की आयु पूरी होने के बाद पूरक आहार शुरू कर देना चाहिए।
ब्लॉक ककवन की आशा बहू सुमन बताती हैं कि वह ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस, घर भ्रमण एवं आंगनवाड़ी के आयोजनों में धात्री महिलाओं को प्रेरित करती हैं कि वह छह माह बाद अपने बच्चे को घर में बने पूरक आहार दें। इससे उनका बच्चा कुपोषित न हो और उनका विकास सही ढंग से हो सके। आंगनबाड़ी से मिलने वाली पंजीरी का हलवा, खीर, दलिया, खिचड़ी, केला आदि देने के साथ तीन साल तक स्तनपान कराने की सलाह भी दी जाती है।
ज़िला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार बताते हैं कि बच्चे के 6 महीने के होने पर स्तनपान के साथ-साथ घर में बने पूरक आहार निर्धारित मात्रा में मसल कर देने चाहिए। इनमें खिचड़ी, दलिया, साबूदाना, सूजी की खीर आदि को शामिल करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को तरल आहार न देकर अर्द्ध ठोस पदार्थ दें व स्तनपान जारी रखें। भोजन में चतुरंगी आहार (लाल, सफ़ेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियाँ स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाना चाहिए।इनमें भोजन में पाये जाने वाले आवश्यक तत्व जरूर होने चाहिए, जैसे- कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज पदार्थ, रेशे औरपानी उपस्थित हों।
क्या कहते हैं आंकड़े ?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस – 5) के अनुसार-
उत्तर प्रदेश कानपुर नगर
6-23 माह के बच्चे जिन्हें पर्याप्त आहार मिल पाता है 6.1% 4.6%
5 वर्ष तक के बच्चे जिनकी लंबाई, उनकी आयु के अनुपात में कम है 39.7% 34.6%
5 वर्ष तक के बच्चे जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है 17.3% 21.4%
5 वर्ष तक के बच्चे जिनका वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है 32.1% 27.8%
5 वर्ष तक के बच्चे जिनमें खून की कमी पाई गई 66.4% 76.3%
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर